पहला पद (अंश)
“झूला झूले सोने का,
झूले रेशम की डोरी।
मीठे सपनों में खोई,
सुन-सुन परियों की लोरी।”
सारांश: माँ अपने बच्चे को लोरी गाकर सुला रही है। वह सपनों की सुंदर दुनिया की कल्पना कराती है, जहाँ बच्चा सोने के झूले में झूल रहा है और रेशम की डोरी से बंधा है। माँ चाहती है कि उसका बच्चा मीठे सपनों में खो जाए।
दूसरा पद (अंश)
“चाँद-सितारे जाग रहे,
नाच रही है चाँदनिया।
फूल खिले हैं चाँदी के,
फूलों मेरी आँगनिया।”
सारांश: माँ अपने बच्चे को बताती है कि चाँद-तारे जाग रहे हैं और चाँदनी (चंद्रमा की रोशनी) नाच रही है। यह दिखाता है कि रात सुंदर और शांतिपूर्ण है। माँ यह सब कहकर अपने बच्चे को सुकून और खुशी का अहसास कराना चाहती है।
तीसरा पद (अंश)
“मेरा सुख अधूरा रे,
सोई मेरी छौना रे!
गीत सुनाऊँ सोए तू,
तू सोए औ गाऊँ मैं।”
सारांश: माँ कहती है कि उसका सुख अधूरा है अगर बच्चा नहीं सोता। वह बच्चे को गीत सुनाकर सुलाना चाहती है और उसके सपनों को सुंदर बनाना चाहती है।
चौथा पद (अंश)
“खेल-खेल तू,
हँस-हँस तुझे मनाऊँ मैं।
खिलौनों की दुनिया की सैर तुझे कराऊँ मैं।”
सारांश: माँ अपने बच्चे से कहती है कि जब वह जागेगा तो खेल-खेल में खुश रहेगा। वह उसे खिलौनों की दुनिया में ले जाने और उसे हँसाने का वादा करती है। यह दिखाता है कि माँ अपने बच्चे को खुश देखने के लिए कुछ भी कर सकती है।
संपूर्ण कविता का सारांश
यह माँ के प्यार और लोरी पर आधारित कविता है। इसमें माँ अपने बच्चे को प्यार से सुलाने के लिए सुंदर बातें कहती है। वह उसे सोने के झूले, चाँद-सितारों की चमक और खिलौनों की दुनिया की कल्पना कराकर सपनों में ले जाना चाहती है। माँ का वात्सल्य, ममता और सुरक्षा का भाव इस कविता में बहुत सुंदर तरीके से दिखाया गया है।
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