मैंने समझा
इस पाठ में बताया गया है की स्वतंत्रता अनमोल होती है। कहानी में एक बूढ़े तोते ने अपना वृतांत कह सुनाया था। बहुत साल पहले जख्मी होने पर मोंटू और उसके पिता ने तोते की जान बचाई थी। १५ अगस्त को मोंटू ने अपना वादा निभाते हुए तोते को पिंजड़े से आजाद कर खुले आकाश में छोड़ दिया। आजादी संसार में सभी के लिए अत्यंत आवश्यक होती है।
भाषा की ओर
विराम चिन्ह रहित :
काबुलीवाले ने पूछा बिटिया अब कौन सी चूड़ियाँ चाहिए मैंने अपनी गुड़िया दिखाकर कहा मेरी गुड़िया के लिए अच्छी सी चूड़ियाँ दे दो जैसे लाल नीली पीली
विराम चिन्ह सहित :
काबुलीवाले ने पूछा, “बिटिया अब कौन सी चूड़ियाँ चाहिए?” मैंने अपनी गुड़िया दिखाकर कहा, “मेरी गुड़िया के लिए अच्छी सी चूड़ियाँ दे दो, जैसे- लाल, नीली, पीली।”
सुनो तो जरा
विभिन्न पशु पक्षियों को बोली :
हाथी – चिघाड़ना
कौआ – काँव-काँव
साँप – फुफकारना
शेर – दहाड़ना
बिल्ली – म्याऊँ
कुत्ता – भौंकना
घोड़ा – हिनहिनाना
मक्खी – भिनभिनाना
वाचन जगत से
प्रेमचंद हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक हैं। उनकी कई प्रसिद्द रचनाओं में से एक है : दो बैलों की कथा। इस कहानी का विषय है परस्पर प्रेम और संगर्ष। इसमें मुख्य नायक हीरा और मोती नाम के दो बैल हैं। ये दोनों बैल सीधे-सादे लोगों का प्रतीक है। दोनों को बहुत सारी आपदाओं का सामना करना पड़ता है पर फिर भी दोनों एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ते। दोनों अपनी आजादी के लिए संघर्ष करते हैं। इससे हमें शिक्षा मिलती है की कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।
मेरी कलम से
जंगलों और जानवरों को को बचाना जरूरी है। बाघ परियोजना की शुरुआत ७ अप्रैल १९७३ को हुई थी। इसके तहत शुरू में ९ बाघ अभयारण्य बनाए गए थे। आज इनकी संख्या बढ़कर ३२ हो गई है। बाघ परियोजना केन्द्र प्रायोजित योजना है। सरकारी आकडों के अनुसार अब वर्तमान में इससे १४११ बाघ बचे हुए है।
सदैव ध्यान में रखो
वन्य जीवन प्रकृति का उपहार है और इनके जीवन की रक्षा भी इंसानों जितनी ही महत्वपूर्ण मानी गयी है। प्राणियों के संरक्षण का मुख्य उद्देश्य जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को प्रमाणित सुरक्षा प्रदान करना है। कुछ क्षेत्रों को अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित करने के लिए अधिनियम बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है। अधिनियम वन्यजाति हेतु जंगली जानवरों तथा पक्षियों आदि के शिकार पर प्रतिबंध लगाता है और प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए दंड देता है।
जरा सोचो ….. चर्चा करो
हम सभी प्राणियों का पृथ्वी पर होना अत्यंत ही आवश्यक है। अगर कोई भी प्राणी नहीं होगा तो प्रकृति भी जीवित नहीं रह पाएगी। समस्त संसार सम्पूर्ण रूप से अर्थहीन अथवा तहस-नहस हो जायेगा। मानव, जीव जंतु, पेड़ आदि सभी है। सबका होना सामान रूप से बराबर है। अगर मानव नहीं रहे तो पृथ्वी पर होने वाली प्रगति रुक जाएगी। यहाँ जीवन की कल्पना करना तक भी मुश्किल हो जाएगा। प्राणियों के ना होने से सम्पूर्ण जगत का अनुरक्षित संतुलन भी बिगड़ जायेगा
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