भाषा की ओर
समानार्थी शब्द
- आकाश – आसमान
- मित्र – दोस्त, साथी
- धरा – पृथ्वी, धरती
- गिरि – पर्वत
- सुगंध – खुशबू
सुनो तो जरा
छात्रों को इन प्रश्नों का प्रयास स्वयं करना होगा।
बताओ तो सही
छात्रों को इन प्रश्नों का प्रयास स्वयं करना होगा।
वाचन जगत से
इस रेखाचित्र के निम्नलिखित पात्र है – फ्रेड्रिक, हितेंद्र, मुख्तार, प्राजक्ता, सिद्धि, शर्मिष्ठा, कृष्णा, बिट्टू, तृप्ति, चिन्मय और सोनपरी।
मेरी कलम से
सोनपरी को बच्चों की बात सुनकर बहुत ख़ुशी हुई। वह सभी को अपने साथ लेकर आकाश में उड़ गईं। उसने कहा ‘यह तो बहुत अच्छी बात है। तुम सभी प्रकृति को जो देना चाहते हो, उसे अपने मन में सोचो। मई तुम्हारी सोच को एक सुन्दर स्वरुप में बदल दूँगी।’ फ्रेडरिक और सिद्धि ने अपने खिलौने आसमान को देने का विचार किया। उनके सोचते ही खिलौने बदल के रूप में बदल गए और वर्षा होने लगी।
किसने किससे कहा है बताओ
- काव्या ने अपने मन में कहा।
- ऐसा सोनपरी ने सभी बच्चों से कहा।
- चिन्मय ने सोनपरी से कहा।
- सोनपरी ने सभी बच्चों से कहा।
सदैव ध्यान में रखो
प्रकृति हमें सदा देने की सीख मिलती है। प्रकृति हमें घर देती है, खाना देती है। हमें जीने के लिए हवा भी हमें प्रकृति ही उपलब्ध कराती है। इतना सबकुछ देने के बाद भी प्रकृति कभी भी हमसे वापस कुछ पाने की कोशिश नहीं करती।
जरा सोचो ………. बताओ
यदि मुझे कभी परी मिल जाए तो मैं उनसे माँगूँगी कि वे हमारी पृथ्वी के प्रदूषण को कम कर दें। आज हमारी पृथ्वी की सबसे बड़ी परेशानी प्रदुषण ही है। अगर वह काम हो जाए तो हमारी पृथ्वी वापस से खुशहाल होने की दिशा में अग्रसर हो जाएगी।
अध्ययन कौशल
अन्य मुद्दे इस तरह के हो सकते हैं जैसे वृक्षारोपण करना, नदियों को बचाना, पानी को बरबाद होने से रोकना आदि। यह सब कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनका संपर्क प्रकृति से और मनुष्य के जीवन से सीधा जुड़ा हुआ हैं। इसलिए इन मुद्दों पर बात करना एवं कार्य करना अति आवश्यक हैं।
विचार मंथन
साइकिल चलाने से हमारे पर्यावरण को बहुत फायदा होता है। साइकिल चलाने से हमारे पर्यावरण में खतरनाक गैसों का उत्सर्जन काम होता है, जिससे वायु प्रदूषण की मात्रा कम होती है। साइकिल से रास्तों पर जाम लगने की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है, जिससे ध्वनि प्रदूषण भी कम होता है।
Leave a Reply