कवि का परिचय
- नाम: डॉ. श्रीप्रसाद
- जन्म: 5 जनवरी 1932, आगरा (उत्तर प्रदेश)
- रचनाएँ: ‘तखड़की से सूरज’, ‘गुड़िया की शादी’ आदि
- विशेषता: बच्चों के लिए कविताएँ लिखी हैं।
कविता का सारांश
- यह कविता माँ के प्यार और लोरी के बारे में है।
- माँ अपने छोटे बच्चे (छौना) को लोरी गाकर सुला रही है।
- वह चाँद, सितारों और झूले की बातें करती है, जिससे बच्चा मीठे सपनों में खो जाता है।
- माँ अपने बच्चे को प्यार से देखती है और उसकी खुशी की दुआ करती है।
कविता की महत्वपूर्ण पंक्तियाँ
“झूला झूले सोने का, झूले रेशम की डोरी।”→ माँ बच्चे को सोने के झूले की कल्पना कराकर सुलाती है।
“चाँद-सितारे जाग रहे, नाच रही है चाँदनिया।”→ माँ बताती है कि रात का समय है और चाँद-तारे चमक रहे हैं।
“मेरा मीठ-दिठौना रे! सोई मेरी छौना रे!”→ माँ बच्चे को प्यार से बुलाकर कहती है कि वह सो जाए।
नए शब्द और उनके अर्थ
- सलोनी → सुंदर
- छौना → छोटा बच्चा
- चाँदनिया → चाँद की रोशनी
सीखने योग्य बातें
- माँ का प्यार अमूल्य होता है।
- माँ अपने बच्चे की खुशी और सुख के लिए हर प्रयास करती है।
- लोरी बच्चे को सुलाने और उसे सुरक्षित महसूस कराने का एक तरीका है।
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