लेखक का परिचय
- इस कहानी के लेखक प्रेमस्वरूप श्रीवास्तव हैं।
- इनका जन्म 11 मार्च 1929 को जौनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
- उन्होंने बाल कहानियाँ, नाटक और लेख लिखे हैं।
कहानी का मुख्य विषय
- यह कहानी पानी और बिजली बचाने के महत्व को सिखाती है।
- कहानी का मुख्य पात्र बबलू है, जो पानी और बिजली की बर्बादी करता था।
- उसकी माँ और पापा उसे समझाने की कोशिश करते, लेकिन वह नहीं सुनता था।
बबलू की आदतें
- बबलू बहुत देर तक नहाता और पानी बहाता रहता।
- ब्रश करते समय भी नल खुला छोड़ देता था।
- वह कमरे में न होते हुए भी पंखा और बल्ब जलता छोड़ देता था।
- उसकी इस आदत से माँ और पापा बहुत परेशान थे।
जन्मदिन की पार्टी में सीख
- बबलू अपनी मौसी (शीला मौसी) के घर उनकी बेटी पूजा के जन्मदिन पर गया।
- वहाँ बिजली कटौती के कारण पंखे और लाइट बंद थे।
- खाने के समय बबलू को बहुत प्यास लगी, लेकिन पानी खत्म हो गया था।
- यह देखकर बबलू को पानी की अहमियत समझ में आई।
- कुछ देर बाद, बड़े कूलर में भरे पानी से सबने प्यास बुझाई।
बबलू का बदलता नजरिया
- इस घटना के बाद बबलू को अहसास हुआ कि बिना पानी और बिजली के जीवन कठिन हो सकता है।
- घर लौटने के बाद उसने अपनी गलती मानी और पानी-बिजली बचाने का संकल्प लिया।
- बाद में पता चला कि यह सब उसकी माँ और मौसी की योजना थी, ताकि वह सीख सके।
कहानी से सीख
- पानी और बिजली अनमोल संसाधन हैं, हमें इन्हें बर्बाद नहीं करना चाहिए।
- यदि हम इनका दुरुपयोग करेंगे, तो भविष्य में हमें और दूसरों को बहुत कठिनाइयाँ होंगी।
- सभी को पानी और बिजली की बचत करनी चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।
मुख्य शब्दावली
शब्द | अर्थ |
---|---|
बर्बाद | नष्ट करना |
कटौती | कम करना |
लापरवाह | ध्यान न देने वाला |
संकल्प | कुछ करने का निश्चय |
अनमोल | बहुत कीमती |
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