परिचय:
यह एक मजेदार कविता है, जिसमें एक चतुर चपाती और भूखी बिल्ली के बीच की बातचीत दिखाई गई है। यह कविता हास्यपूर्ण तरीके से हमें चालाकी और समझदारी का महत्व सिखाती है।
मुख्य पात्र:
- चपाती – चालाक और चतुर
- बिल्ली – भूखी और लालची
- माँ – अंत में चपाती को बचाती है
कहानी का सार:
- चपाती गरम तवे पर फूल रही थी।
- एक भूखी बिल्ली आई और उसे खाने लगी।
- चपाती ने चालाकी दिखाई और शर्त रखी – “पहले मक्खन लाओ, फिर खा लेना!”
- बिल्ली मक्खन लाने गई, लेकिन चपाती ने फिर नई शर्त रखी – “अब गुड़ लाओ!”
- बिल्ली ने गुस्से में चपाती को खाने की कोशिश की, लेकिन तभी माँ आ गई।
- माँ को देखकर बिल्ली डरकर भाग गई और चपाती की जान बच गई।
कविता से क्या सीख मिलती है?
1. बुद्धिमानी से किसी भी मुसीबत से बच सकते हैं।
2. जल्दबाजी और लालच से नुकसान हो सकता है।
3. चालाकी और धैर्य सफलता की कुंजी है।
कठिन शब्द और उनके अर्थ:
- पेट फुलाना – तवे पर फूलना
- झपटी – तेजी से पकड़ने की कोशिश करना
- मटकाना – इधर-उधर घुमाना
- गुर्राना – गुस्से में आवाज़ निकालना
- झुँझलाना – गुस्सा करना
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