परिचय
- यह कहानी बच्चों और प्रकृति के रिश्ते पर आधारित है।
- इसमें दिखाया गया है कि प्रकृति हमें बहुत कुछ देती है, लेकिन हम उसे कुछ नहीं देते।
- यह कहानी बच्चों की कल्पना और सीखने की इच्छा को दर्शाती है।
कहानी का सारांश
बच्चे बगीचे में खेल रहे थे
- काव्या और उसके दोस्त बगीचे में खेल रहे थे।
- खेलते-खेलते काव्या ने एक बड़ा पेड़ देखा और उसे लगा कि प्रकृति हमारी मदद करती है।
- उसने सोचा, अगर प्रकृति हमें इतना कुछ देती है, तो हमें भी उसे कुछ देना चाहिए।
बच्चों ने प्रकृति को उपहार देने की योजना बनाई
- बच्चों ने अपनी प्रिय वस्तुएँ प्रकृति को देने का फैसला किया।
- फेडरिक और सिद्धार्थ ने अपने खिलौने आकाश को दिए, जो बादल बन गए।
- तृप्ति और प्राजक्ता ने अपनी चूड़ियाँ धरती को दीं, जिससे धरती हरी-भरी हो गई।
- हितेंद्र और काव्या ने पेड़ों को मिठाई दी, जिससे वे और सुंदर हो गए।
सोनपरी का जादू और बच्चों की सीख
- सोनपरी ने बच्चों की कल्पना को सच्चाई में बदल दिया।
- आकाश में बादल आ गए, पेड़ और हरे हो गए, धरती सुंदर हो गई।
- सोनपरी ने बताया कि अगर हम प्रकृति को संवारेंगे, तो दुनिया और सुंदर हो जाएगी।
- अंत में, प्राजक्ता की नींद खुल गई और उसे समझ आया कि हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए।
कठिन शब्द और उनके अर्थ
शब्द | अर्थ |
---|---|
प्रकृति | पेड़-पौधे, नदियाँ, आकाश, धरती आदि |
कल्पना | सोचने की शक्ति |
हरी-भरी | बहुत सारे पेड़ों और घास से भरी |
उपहार | तोहफा, गिफ्ट |
मिठाई | मीठा खाने का सामान |
बादल | आसमान में पानी की बूंदों का समूह |
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
1. प्रकृति हमारी दोस्त है, हमें उसकी रक्षा करनी चाहिए।
2. हमें पेड़ लगाने चाहिए और धरती को हरा-भरा बनाना चाहिए।
3. हम जो प्रकृति को देंगे, वही हमें वापस मिलेगा।
4. स्वच्छता और हरियाली से हमारा जीवन सुंदर बन सकता है।
विलोम शब्द (विपरीत शब्द)
शब्द | विलोम शब्द |
---|---|
हरा-भरा | सूखा |
उपहार | दंड |
स्वच्छ | गंदा |
सुंदर | बदसूरत |
बड़ा | छोटा |
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