1. कहानी का नाम क्या है?
उत्तर: कहानी का नाम “मेरा अहोभाग्य” है।
2. इस संस्मरण के लेखक कौन हैं?
उत्तर: इस संस्मरण के लेखक चंद्रगुप्त विद्यालंकार हैं।
3. यह घटना कब की है?
उत्तर: यह घटना फरवरी 1936 की है।
4. लेखक कहाँ गए थे?
उत्तर: लेखक शांतिनिकेतन गए थे।
5. शांतिनिकेतन में कौन-सा कार्यक्रम होने वाला था?
उत्तर: वहाँ एक साहित्यिक कार्यक्रम होने वाला था।
6. कार्यक्रम की अध्यक्षता कौन कर रहे थे?
उत्तर: कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर कर रहे थे।
7. गुरुदेव से मिलने का समय कितना तय हुआ था?
उत्तर: गुरुदेव से 15 मिनट मिलने का समय तय हुआ था।
8. गुरुदेव ने अपनी किस प्रसिद्ध कहानी का जिक्र किया?
उत्तर: उन्होंने “काबुलीवाला” कहानी का जिक्र किया।
9. गुरुदेव के साथ बातचीत कितनी देर चली?
उत्तर: बातचीत 40 मिनट तक चली।
10. लेखक को अहोभाग्य क्यों महसूस हुआ?
उत्तर: लेखक को अहोभाग्य महसूस हुआ क्योंकि वह उसी कमरे में ठहरे थे, जहाँ गुरुदेव ने “गीतांजलि” लिखी थी।
11. लेखक शांतिनिकेतन क्यों गए थे?
उत्तर: लेखक एक साहित्यिक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे, जिसकी अध्यक्षता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर कर रहे थे।
12. गुरुदेव से मिलने के लिए लेखकों को कितनी देर का समय मिला?
उत्तर: पहले 15 मिनट का समय तय था, लेकिन बातचीत 40 मिनट तक चली।
13. गुरुदेव ने “काबुलीवाला” कहानी किस पर लिखी थी?
उत्तर: गुरुदेव ने यह कहानी एक काबुली फल विक्रेता और उसकी बेटी के रिश्ते की कल्पना पर लिखी थी।
14. लेखक को गुरुदेव से मिलकर कैसा महसूस हुआ?
उत्तर: लेखक बहुत खुश और सम्मानित महसूस कर रहे थे क्योंकि उन्हें गुरुदेव से बातचीत का अवसर मिला।
15. लेखक को सबसे बड़ा आश्चर्य क्या हुआ?
उत्तर: लेखक को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वह उसी कमरे में ठहरे थे, जहाँ गुरुदेव ने “गीतांजलि” लिखी थी।
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