1. इस कहानी का नाम क्या है?
- इस कहानी का नाम “अपनी प्रकृति” है।
2. बच्चे कहाँ खेल रहे थे?
- बच्चे बगीचे में खेल रहे थे।
3. काव्या ने क्या देखा?
- काव्या ने एक बड़ा हरा-भरा पेड़ देखा।
4. काव्या को क्या विचार आया?
- उसने सोचा कि प्रकृति हमें बहुत कुछ देती है, हमें भी उसे कुछ देना चाहिए।
5. बच्चों ने प्रकृति को क्या देने का सोचा?
- बच्चों ने अपनी प्रिय वस्तुएँ प्रकृति को देने का विचार किया।
6. सोनपरी ने बच्चों की इच्छाएँ कैसे पूरी कीं?
- उसने बच्चों की चीजों को सुंदर उपहारों में बदल दिया।
7. बादल कैसे बने?
- फेडरिक और सिद्धार्थ ने अपने खिलौने आकाश को दिए, जो बादल बन गए।
8. बच्चों ने पेड़ों को क्या दिया?
- काव्या और हितेंद्र ने पेड़ों को मिठाई देने की इच्छा जताई, जिससे वे शानदार वृक्ष बन गए।
9. धरती को हरी चुनरी कैसे मिली?
- तृप्ति और प्राजक्ता ने अपनी चूड़ियाँ दीं, जिससे धरती हरी-भरी हो गई।
10. सोनपरी ने बच्चों को क्या सिखाया?
- उसने सिखाया कि प्रकृति की देखभाल करनी चाहिए।
11. बच्चों ने प्रकृति को उपहार क्यों दिए?
- क्योंकि प्रकृति हमें बहुत कुछ देती है, इसलिए हमें भी उसे कुछ देना चाहिए।
12. प्राजक्ता की नींद कैसे खुली?
- उसके सिर पर एक आम गिरने से।
13. काव्या ने पेड़ देखकर क्या सोचा?
- उसने सोचा कि प्रकृति हमें बहुत कुछ देती है, हमें भी उसे कुछ देना चाहिए।
14. सोनपरी ने बच्चों की इच्छाएँ कैसे पूरी कीं?
- उसने बच्चों की चीजों को सुंदर उपहारों में बदल दिया, जैसे खिलौनों को बादल और चूड़ियों को हरियाली।
15. बच्चों ने प्रकृति को उपहार देने का विचार क्यों किया?
- क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि प्रकृति हमेशा हमें देती है, लेकिन हम उसे कुछ नहीं देते।
16. इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
- हमें प्रकृति की देखभाल करनी चाहिए और उसे सुंदर बनाने में मदद करनी चाहिए।
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