1. कहानी का नाम क्या है?
उत्तर: कहानी का नाम “उपहार” है।
2. इस कहानी का मुख्य पात्र कौन है?
उत्तर: इस कहानी का मुख्य पात्र ऋत्विक नाम का लड़का है।
3. ऋत्विक कहाँ रहता था?
उत्तर: ऋत्विक एक गाँव में रहता था।
4. ऋत्विक मेले में क्यों जाना चाहता था?
उत्तर: वह पुस्तक मेला देखने और किताबें खरीदने जाना चाहता था।
5. ऋत्विक की माँ ने उसे मेले में जाने से क्यों रोका?
उत्तर: क्योंकि घर में कोई बड़ा नहीं था और मेला बहुत दूर था।
6. ऋत्विक को उदास देखकर कौन आई?
उत्तर: एक परी उसके पास आई।
7. ऋत्विक को परी ने क्या परीक्षा दी?
उत्तर: परी ने ईमानदारी की परीक्षा ली।
8. ऋत्विक को रास्ते में क्या मिला?
उत्तर: उसे रास्ते में पीले रंग की मखमली पोटली मिली।
9. पोटली किसकी थी?
उत्तर: पोटली परी (राहगीर के रूप में) की थी।
10. परी ने अंत में ऋत्विक को क्या दिया?
उत्तर: परी ने ऋत्विक को उसी पोटली में बहुत सारी किताबें दीं।
11. ऋत्विक के पास पुस्तकें खरीदने के लिए पैसे क्यों नहीं थे?
उत्तर: क्योंकि ऋत्विक बहुत गरीब था और उसके पास किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।
12. ऋत्विक ने पोटली लौटाने का फैसला क्यों किया?
उत्तर: क्योंकि वह ईमानदार लड़का था और उसे लगा कि जो चीज़ उसकी नहीं है, उसे वापस कर देना चाहिए।
13. परी ने ऋत्विक को उपहार में क्या दिया?
उत्तर: परी ने उसे बहुत सारी किताबें उपहार में दीं, जिससे वह और गाँव के बच्चे पढ़ सके।
14. ऋत्विक ने उपहार मिलने के बाद क्या किया?
उत्तर: ऋत्विक ने एक पुस्तकालय खोला, जहाँ सभी बच्चे आकर पढ़ सकते थे।
15. इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: यह कहानी हमें सिखाती है कि ईमानदारी का इनाम हमेशा मिलता है और ज्ञान सबसे बड़ा उपहार है।
16. ऋत्विक परी की परीक्षा में कैसे सफल हुआ?
उत्तर: उसने ईमानदारी दिखाई और रास्ते में मिली पोटली उसके असली मालिक को लौटा दी।
17. परी ने खुद को राहगीर के रूप में क्यों बदला?
उत्तर: परी ने ऋत्विक की ईमानदारी की परीक्षा लेने के लिए राहगीर का रूप धारण किया।
18. ऋत्विक ने पुस्तकालय खोलने का फैसला क्यों किया?
उत्तर: क्योंकि उसे ज्ञान का महत्व समझ में आया और वह चाहता था कि गाँव के सभी बच्चे पढ़ें।
19. परी ने ऋत्विक को क्या सीख दी?
उत्तर: परी ने उसे सिखाया कि ईमानदार व्यक्ति के जीवन में किसी चीज़ की कमी नहीं होती।
20. इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: कहानी हमें सिखाती है कि ईमानदारी सबसे बड़ी पूंजी है और ज्ञान सबसे बड़ा उपहार है।
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