Short Questions (with Answers)
1. सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कब हुआ था?
उत्तर : 16 अगस्त 1904 को।
2. सुभद्रा कुमारी चौहान की शिक्षा कहाँ हुई?
उत्तर : क्रास्थवेट गर्ल्स स्कूल, इलाहाबाद।
3. उनका विवाह किससे हुआ था?
उत्तर : ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान से।
4. सुभद्रा कुमारी चौहान ने किस प्रकार की कविताएँ लिखीं?
उत्तर : राष्ट्रीय भावधारा की कविताएँ।
5. उनका प्रसिद्ध कविता संग्रह कौन-सा है?
उत्तर : ‘मुकुल’।
6. सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन कब हुआ?
उत्तर : 15 फरवरी 1948 को।
7. सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्यधारा कौन सी थी?
उत्तर : राष्ट्रीय और यथार्थवादी।
8. कविता में कवयित्री का ‘खिलौना’ क्या है?
उत्तर : कविता में कवयित्री का ‘खिलौना’ उसका पुत्र है।
9. कवयित्री ने किस भय से पुत्र को गोद से नहीं उतारा?
उत्तर : कवयित्री ने शीत लगने के भय से पुत्र को गोद से नहीं उतारा।
10. माँ पुत्र को थपकी देकर क्या कराती थी?
उत्तर : माँ अपने पुत्र को थपकी देकर सुलाती थी।
11. पुत्र के मुख पर मलिनता देखकर माँ क्या करती थी?
उत्तर : पुत्र के मुख पर मलिनता देखकर माँ रातभर जागती थी।
12. माँ ने किसे देवता के समान माना?
उत्तर : माँ ने अपने पुत्र को देवता के समान माना।
13. कविता में पुत्र को क्या कहकर पुकारा गया है?
उत्तर : कविता में पुत्र को ‘छौना’ कहकर पुकारा गया है।
14. माँ को किस बात का विश्वास है?
उत्तर : माँ को विश्वास है कि खोया हुआ पुत्र अब कभी नहीं मिलेगा।
15. पुत्र वियोग में माँ को कैसा लगता है?
उत्तर : पुत्र वियोग में माँ को जीवन सूना और नीरस लगता है।
16. माँ अपने पुत्र से किस प्रकार का प्रेम करती है?
उत्तर : माँ अपने पुत्र से गहरा और आत्मीय प्रेम करती है।
17. माँ अपने मन को क्यों नहीं समझा पाती?
उत्तर : माँ अपने पुत्र से गहरे जुड़ाव के कारण मन को नहीं समझा पाती।
18. पुत्र को खोने पर माँ को क्या महसूस होता है?
उत्तर : पुत्र को खोने पर माँ को असहाय और विवश महसूस होता है।
19. माँ अपने पुत्र के लिए क्या-क्या करती थी?
उत्तर : माँ अपने पुत्र के लिए लोरियाँ गाती थी और थपकी देकर सुलाती थी।
20. माँ ने अपने पुत्र के लिए क्या चढ़ाया?
उत्तर : माँ ने अपने पुत्र के लिए नारियल, दूध और बताशे चढ़ाए।
21. माँ ने अपने पुत्र के मुख पर मलिनता देखकर क्या किया?
उत्तर : माँ ने पुत्र के मुख पर मलिनता देखकर पूरी रात जागते हुए बिताई।
22. माँ पुत्र को क्या समझाना चाहती है?
उत्तर : माँ अपने पुत्र को प्यार से समझाना चाहती है कि वह उसे छोड़कर न जाए।
23. भाई-बहन पुत्र को क्यों भूल सकते हैं, पर माँ नहीं?
उत्तर : माँ पुत्र को इसलिए नहीं भूल सकती क्योंकि वह दिन-रात उसके साथ रहती थी।
24. पुत्र की अनुपस्थिति में माँ का जीवन कैसा हो गया है?
उत्तर : पुत्र की अनुपस्थिति में माँ का जीवन एकदम सूना और नीरस हो गया है।
Medium Questions (with Answers)
1. कवयित्री ने पुत्र को खोने पर खुद को असहाय और विवश क्यों कहा है?
उत्तर : कवयित्री ने पुत्र को खोने के बाद खुद को असहाय और विवश इसलिए कहा है क्योंकि वह अपने पुत्र को वापस पाने में असमर्थ है। पुत्र के बिना जीवन में खालीपन और शोक ने उसे पूरी तरह तोड़ दिया है। उसका सारा प्यार और ममता जैसे बेकार हो गए हैं। यह स्थिति उसे अत्यंत पीड़ा देती है।
2. कवयित्री ने ‘छौना’ शब्द का उपयोग किस भाव से किया है?
उत्तर : कवयित्री ने ‘छौना’ शब्द का उपयोग वात्सल्य और प्रेम के भाव से किया है। वह अपने पुत्र को छोटे, नाजुक और मासूम बच्चे की तरह देखती है। यह शब्द उसके मातृत्व प्रेम और कोमलता को दर्शाता है। पुत्र को ‘छौना’ कहकर पुकारने से उसकी ममता और गहराई स्पष्ट होती है।
3. माँ पुत्र को खोने के बाद अपने मन को क्यों नहीं समझा पाती?
उत्तर : माँ अपने मन को इसलिए नहीं समझा पाती क्योंकि पुत्र से उसका अटूट लगाव था। वह अपने पुत्र को दिन-रात अपने पास पाकर सुखी थी, लेकिन उसके जाने के बाद वह अकेलापन महसूस करती है। भाई-बहन और पिता तो भूल सकते हैं, लेकिन माँ के लिए यह असंभव है। इसलिए वह हर क्षण शोक में डूबी रहती है।
4. कविता में माँ ने पुत्र के प्रति अपने प्रेम को कैसे व्यक्त किया है?
उत्तर : माँ ने अपने प्रेम को थपकी देकर सुलाने, लोरियाँ गाने और उसकी देखभाल करने में व्यक्त किया है। उसने पुत्र के चेहरे पर मलिनता देखकर रातभर जागकर उसकी चिंता की। वह अपने पुत्र को देवता के समान मानती थी और उसे नारियल, दूध आदि चढ़ाती थी। यह सब उसके गहरे प्रेम का प्रमाण है।
5. माँ के जीवन में पुत्र की अनुपस्थिति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर : पुत्र की अनुपस्थिति ने माँ के जीवन को एकदम सूना और नीरस बना दिया। उसे हर ओर उदासी और अकेलापन महसूस होता है। वह अपने जीवन में निरंतर शोक और पीड़ा का अनुभव करती है। उसे लगता है कि अब उसका जीवन निरर्थक और खाली हो गया है।
6. कवयित्री ने पुत्र के मुख पर मलिनता देखकर क्या किया?
उत्तर : कवयित्री ने पुत्र के मुख पर मलिनता देखकर पूरी रात जागते हुए बिताई। उसने पुत्र की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी और उसकी खुशी के लिए हर संभव प्रयास किया। वह पुत्र के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंतित रहती थी। यह दर्शाता है कि माँ अपने पुत्र से कितनी गहरी ममता रखती थी।
7. माँ ने पुत्र को देवता समान क्यों माना?
उत्तर : माँ ने पुत्र को देवता समान इसलिए माना क्योंकि उसकी नजर में पुत्र उसके जीवन का सबसे मूल्यवान धन था। उसने पुत्र के लिए नारियल, दूध, बताशे चढ़ाए और पत्थर को भी देवता मानकर उसकी पूजा की। यह सब माँ की गहरी ममता और श्रद्धा को दर्शाता है।
8. माँ ने पुत्र की अनुपस्थिति में अपने जीवन को कैसा पाया?
उत्तर : माँ ने पुत्र की अनुपस्थिति में अपने जीवन को सूना और नीरस पाया। उसे हर ओर उदासी और शून्यता का अनुभव हुआ। जीवन की खुशियाँ खो चुकी थीं, और अब उसे अपने चारों ओर केवल खालीपन और पीड़ा महसूस होती थी। यह अवस्था उसके लिए असहनीय थी।
9. कवयित्री ने पुत्र की स्मृति को कैसे अमर किया?
उत्तर : कवयित्री ने पुत्र की स्मृति को अपनी कविताओं के माध्यम से अमर किया। उसने अपने दुःख को शोकगीत में बदलकर उसे एक अमिट निशानी बना दिया। यह स्मृति उसके प्रेम और पीड़ा का प्रतीक बन गई। इस प्रकार कवयित्री ने अपने शोक को साहित्यिक अमरता दी।
10. माँ ने पुत्र की मृत्यु को क्यों स्वीकार नहीं किया?
उत्तर : माँ ने पुत्र की मृत्यु को इसलिए स्वीकार नहीं किया क्योंकि उसका प्रेम बहुत गहरा था। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका पुत्र उसे छोड़कर जा चुका है। वह सोचती रही कि यदि एक बार वह उसे देख पाती तो शायद शांति मिल जाती। यह अस्वीकृति उसकी गहरी ममता को दर्शाती है।
11. कविता में पुत्र को खोने के बाद माँ की स्थिति कैसी है?
उत्तर : पुत्र को खोने के बाद माँ की स्थिति अत्यंत दयनीय और दुखद हो गई है। वह असहाय और विवश होकर केवल शोक और पीड़ा में डूबी रहती है। उसे किसी भी चीज़ में शांति नहीं मिलती, और उसका जीवन निरंतर दुःख में व्यतीत होता है।
12. माँ ने पुत्र को वापस पाने की कौन सी इच्छा व्यक्त की है?
उत्तर : माँ ने यह इच्छा व्यक्त की है कि यदि वह एक बार अपने पुत्र को प्यार से सीने से लगा सकती तो उसे शांति मिलती। वह चाहती है कि वह उसे प्यार से सहलाए और समझाए। लेकिन वह जानती है कि यह अब संभव नहीं है, जिससे उसकी पीड़ा और भी बढ़ जाती है।
13. पुत्र को ‘छौना’ कहने का क्या अर्थ है?
उत्तर : पुत्र को ‘छौना’ कहने का अर्थ है कि माँ उसे छोटे, मासूम और नाजुक बालक के रूप में देखती है। यह शब्द उसकी ममता और वात्सल्य को व्यक्त करता है। यह दिखाता है कि माँ के लिए उसका पुत्र कितना प्रिय और अनमोल था।
14. माँ को पुत्र वियोग में किस प्रकार की शांति नहीं मिलती?
उत्तर : माँ को पुत्र वियोग में न तो दिन में और न ही रात में कोई शांति मिलती है। उसे हर समय अपने पुत्र की याद आती रहती है। उसका मन लगातार बेचैन रहता है, और वह किसी भी काम में मन नहीं लगा पाती।
15. माँ के लिए पुत्र की अनुपस्थिति में जीवन क्यों जटिल हो गया?
उत्तर : माँ के लिए पुत्र की अनुपस्थिति में जीवन जटिल इसलिए हो गया क्योंकि वह उसके जीवन का आधार था। पुत्र के बिना उसे हर चीज़ निरर्थक लगने लगी। उसकी दिनचर्या और भावनाएँ सब शोक में बदल गईं, जिससे उसका जीवन सूना और कठिन हो गया।
Long Questions (with Answers)
1. कवयित्री ने पुत्र वियोग में अपने शोक को कैसे व्यक्त किया है?
उत्तर : कवयित्री ने अपने पुत्र को खोने के शोक को गहरी पीड़ा और असहायता के साथ व्यक्त किया है। वह अपने जीवन को सूना और नीरस मानती हैं क्योंकि उनका प्रिय पुत्र अब उनके पास नहीं है। हर ओर खालीपन और शोक का वातावरण है, जिससे उनका मन अशांत रहता है। वह किसी भी चीज़ में शांति और संतोष नहीं पाती हैं। इस शोक ने उनके जीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है।
2. कवयित्री ने पुत्र को देवता समान क्यों माना?
उत्तर : कवयित्री ने अपने पुत्र को देवता समान इसलिए माना क्योंकि वह उसे अपने जीवन का सर्वोत्तम और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानती थीं। उन्होंने अपनी ममता और श्रद्धा के कारण पुत्र के लिए पूजा, नारियल और दूध चढ़ाए। उनके लिए पुत्र एक देवता की तरह था, जिसे वह हर स्थिति में सम्मान देती थीं। इस भावना में उनकी गहरी ममता और वात्सल्य निहित है। यह प्रेम उनकी समर्पण और विश्वास को दर्शाता है।
3. कविता में माँ ने पुत्र की अनुपस्थिति को किस प्रकार सहा?
उत्तर : माँ ने अपने पुत्र की अनुपस्थिति को सहने में गहरी पीड़ा और शोक का अनुभव किया। उनका जीवन अब बिना किसी उद्देश्य के, सूना और उदास हो गया है। वह अपने मन को समझाने की कोशिश करती हैं, लेकिन असफल रहती हैं क्योंकि उनकी आत्मा पुत्र की यादों से बंधी हुई है। हर समय वह अपने प्यारे बेटे की यादों में डूबी रहती हैं, और यह शोक उनके लिए असहनीय बन जाता है।
4. कवयित्री ने अपने पुत्र को ‘छौना’ क्यों कहा?
उत्तर : कवयित्री ने अपने पुत्र को ‘छौना’ कहकर उसकी मासूमियत और नाजुकता को दर्शाया है। यह शब्द उसे एक छोटे, प्यारे और निर्दोष बच्चे के रूप में प्रस्तुत करता है। माँ की दृष्टि में उसका बेटा हमेशा छोटा और प्यारा रहेगा, चाहे वह बड़ा हो जाए। यह शब्द उनके गहरे वात्सल्य और प्रेम को व्यक्त करता है, जो हर माँ के दिल में अपने बच्चे के लिए होता है।
5. माँ ने पुत्र वियोग में अपने जीवन को कैसे पाया?
उत्तर : माँ ने पुत्र वियोग में अपने जीवन को सूना और निरर्थक पाया। उसके बिना जीवन में कोई उत्साह या खुशी नहीं बची थी। वह अपनी दिनचर्या में खोई रहती थीं, लेकिन अंदर से खाली और दुखी थीं। पुत्र की अनुपस्थिति ने उसे असहाय बना दिया, और वह उसकी यादों में खोई रहती थीं। यह स्थिति माँ के लिए बेहद दर्दनाक और कठिन थी।
6. कविता में माँ ने किस तरह अपने पुत्र के प्रति अपना प्रेम दिखाया?
उत्तर : कविता में माँ ने अपने पुत्र के प्रति अपने प्रेम को गहरी ममता और समर्पण के साथ व्यक्त किया है। वह हमेशा उसकी देखभाल करती थीं, उसे थपकी देकर सुलाती थीं, और उसकी हर छोटी-सी बात पर ध्यान देती थीं। उसने अपने पुत्र के लिए लोरियाँ गाईं और उसकी हर जरूरत को पूरा किया। वह उसे देवता की तरह पूजती थीं और उसके लिए हर चीज़ सर्वोत्तम चाहती थीं। यह प्रेम उसकी गहरी मातृत्व भावना को प्रकट करता है।
7. माँ के लिए पुत्र की अनुपस्थिति में जीवन क्यों जटिल हो गया?
उत्तर : माँ के लिए पुत्र की अनुपस्थिति में जीवन जटिल इसलिए हो गया क्योंकि वह हमेशा अपने पुत्र के साथ रहती थीं और उसकी देखभाल करती थीं। अब उसके बिना उनका जीवन सूना और नीरस हो गया है। उन्हें कोई खुशी नहीं मिल रही है और हर चीज़ में उसे खोने का दर्द महसूस हो रहा है। उनके जीवन का उद्देश्य अब समाप्त हो गया है, और वह हर वक्त शोक और उदासी से घिरी रहती हैं। यह स्थिति उनके लिए अत्यधिक कठिन है।
8. कवयित्री ने पुत्र वियोग के बाद अपनी पीड़ा को किस प्रकार व्यक्त किया है?
उत्तर : कवयित्री ने पुत्र वियोग के बाद अपनी पीड़ा को बहुत मार्मिक ढंग से व्यक्त किया है। वह अपने दर्द को शब्दों के माध्यम से खुलकर व्यक्त करती हैं, और उनके जीवन का खालीपन हर शब्द में महसूस होता है। उन्होंने पुत्र की अनुपस्थिति को अपने अस्तित्व की समाप्ति जैसा महसूस किया है। उनका दिल हर समय अपने पुत्र की यादों में डूबा रहता है, और यह दर्द उनसे कभी छूटता नहीं है। कविता में यह शोक और पीड़ा पूरी तरह से व्यक्त हुई है।
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