Short Questions (with Answers)
1. सूरदास का जन्म कब हुआ था?
उत्तर : सूरदास का जन्म 1478 में हुआ था, और उनका निधन 1583 में हुआ था।
2. सूरदास का जन्मस्थान कहाँ था?
उत्तर : सूरदास का जन्म दिल्ली के पास ‘सीही’ नामक गाँव में हुआ था।
3. सूरदास का प्रमुख काव्य क्या है?
उत्तर : सूरदास का प्रमुख काव्य ‘सूरसागर’ है।
4. सूरदास का शिक्षा का स्तर क्या था?
उत्तर : सूरदास ने स्वाध्याय द्वारा काव्य रचना और संगीत का गहन अध्ययन किया।
5. सूरदास के गुरु कौन थे?
उत्तर : सूरदास के गुरु महाप्रभु वल्लभाचार्य थे, जिन्होंने उन्हें शुद्धाद्वैतवाद और पुष्टिमार्ग की भक्ति दीक्षा दी।
6. सूरदास की काव्यशैली किस प्रकार की थी?
उत्तर : सूरदास की काव्यशैली अत्यधिक भावुक और प्रेममय थी, जिसमें वात्सल्य और प्रेम-श्रृंगार का प्रमुख स्थान था।
7. ‘सूरसागर’ में कितने स्कंध हैं?
उत्तर : ‘सूरसागर’ में कुल 12 स्कंध हैं।
8. सूरदास किसे ‘वात्सल्य भाव के कवि’ के रूप में प्रसिद्ध हैं?
उत्तर : सूरदास को वात्सल्य भाव के कवि के रूप में विश्वभर में प्रसिद्धि प्राप्त है।
9. सूरदास की प्रमुख काव्य विषयवस्तु क्या थी?
उत्तर : सूरदास के काव्य का प्रमुख विषय कृष्ण की लीलाएँ, वात्सल्य, प्रेम और भक्ति था।
10. ‘सूरसागर’ किस ग्रंथ पर आधारित है?
उत्तर : ‘सूरसागर’ का काव्य श्रीमद्भागवत के आधार पर रचित है।
11. सूरदास के काव्य में संगीत का क्या स्थान है?
उत्तर : सूरदास के काव्य में संगीत का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है, उनके पद संगीत में बहे जाते हैं।
12. सूरदास के काव्य में चित्रकला का क्या स्थान है?
उत्तर : सूरदास के काव्य में चित्रकला की उपमा और बिंब का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जाता है।
13. सूरदास का भाषा-शैली क्या थी?
उत्तर : सूरदास ने ब्रजभाषा में काव्य रचना की, जो अत्यंत कोमल और माधुर्यपूर्ण थी।
14. सूरदास ने कृष्ण के किस रूप को चित्रित किया है?
उत्तर : सूरदास ने कृष्ण के बाल रूप, किशोर रूप और प्रेमपूर्ण रूप को चित्रित किया है।
15. सूरदास का ‘विनय भाव’ किस प्रकार का था?
उत्तर : सूरदास का ‘विनय भाव’ गहरे भक्तिभाव और विनम्रता से भरा हुआ था, जिसमें कृष्ण के प्रति शरणागत भाव था।
16. सूरदास की काव्य रचनाएँ किस भाव में रची गई हैं?
उत्तर : सूरदास की काव्य रचनाएँ मुख्य रूप से वात्सल्य, प्रेम-श्रृंगार और भक्ति भाव में रची गई हैं।
17. सूरदास ने कृष्ण की किस विशेषता को प्रमुखता दी?
उत्तर : सूरदास ने कृष्ण की बाल लीलाओं और उनकी क्रीड़ा के माध्यम से प्रेम और आनंद की विशेषता को प्रमुखता दी।
18. सूरदास के काव्य में ‘कृष्ण के प्रति प्रेम’ को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर : सूरदास के काव्य में कृष्ण के प्रति प्रेम भावनाओं की गहराई और आत्मसमर्पण को दर्शाता है।
19. सूरदास का काव्य समाज पर किस प्रकार का प्रभाव डालता था?
उत्तर : सूरदास का काव्य समाज में नकारात्मकता, उदासी और निराशा को समाप्त कर जीवन में उत्साह और आशा का संचार करता था।
20. सूरदास का काव्य किस प्रकार के सामाजिक मुद्दों को संबोधित करता है?
उत्तर : सूरदास का काव्य सामंती उत्पीड़न, समाजिक भेदभाव और मानसिक कटुता को संबोधित करता था।
Medium Questions (with Answers)
1. “कछुक खात, कछु धरनि गिरावत, छबि निरखति नंद – रनियाँ” का अर्थ क्या है?
उत्तर : सूरदास ने इस पंक्ति में कृष्ण के भोजन के दौरान उनकी छवि को दर्शाया है, जहाँ कृष्ण अपनी गोदी में बैठे हुए हैं और यशोदा उन्हें भोजन कराती हैं। इस दृश्य के माध्यम से कृष्ण के सरलता, आकर्षण और वात्सल्य का चित्रण किया गया है।
2. सूरदास की रचनाओं का प्रमुख विषय क्या था?
उत्तर : सूरदास की रचनाओं का मुख्य विषय कृष्ण की लीलाएँ और उनके प्रति भक्तिरस था। वे कृष्ण के बाल रूप और किशोर रूप की क्रीड़ा को अपने काव्य का आधार बनाते थे। उनके काव्य में वात्सल्य, प्रेम और भक्ति भाव प्रमुख थे।
3. “जो रस नंद- जसोदा बिलसत, सो नहिं तिहूँ भुवनियाँ” का क्या अर्थ है?
उत्तर : इस पंक्ति में सूरदास ने नंद और यशोदा के प्रेम रस को इतना अद्भुत बताया है कि वह तीनों लोकों से ऊपर है। कृष्ण के माता-पिता का प्रेम साकार रूप में सर्वोत्तम और सार्वभौमिक है। यह प्रेम जीवन के वास्तविक रस को व्यक्त करता है।
4. सूरदास ने किस भाषा में काव्य रचना की थी?
उत्तर : सूरदास ने अपनी काव्य रचनाएँ ब्रजभाषा में कीं, जो बहुत ही कोमल और माधुर्यपूर्ण थी। ब्रजभाषा ने उनके काव्य को एक विशेष रंग और लय दी। यह भाषा कृष्ण भक्ति के भावों को जीवंत करने के लिए उपयुक्त थी।
5. ‘सूरसागर’ की रचना कैसे की गई थी?
उत्तर : ‘सूरसागर’ की रचना श्रीमद्भागवत के आधार पर द्वादश स्कंधों में की गई थी। इसमें कृष्ण की लीलाओं का वर्णन किया गया है। सूरदास ने इसे काव्य रूप में प्रस्तुत कर भक्तिरस और आनंद को पाठकों तक पहुँचाया।
6. सूरदास ने ‘वात्सल्य भाव’ में किस प्रकार के पद लिखे हैं?
उत्तर : सूरदास ने वात्सल्य भाव में कृष्ण की बाल लीलाओं को अद्भुत भावनाओं के साथ लिखा है। उनके पदों में माता यशोदा और कृष्ण के बीच का भावनात्मक संबंध प्रमुख है। इन पदों में प्यार, चिंता और करुणा की गहरी अभिव्यक्ति मिलती है।
7. सूरदास की काव्यशैली में चित्रकला का क्या योगदान है?
उत्तर : सूरदास की काव्यशैली में चित्रकला के रूपक और बिंब का योगदान है। वे अपने शब्दों के माध्यम से दृश्य चित्र प्रस्तुत करते हैं, जिससे पाठकों को दृश्यात्मक अनुभव होता है। उनके काव्य में भावनाओं की गहराई और रंगीनता स्पष्ट रूप से महसूस होती है।
8. “सूर स्याम प्रात उठौ, अंबुज – कर-धारी” का क्या अर्थ है?
उत्तर : इस पंक्ति में सूरदास कृष्ण के उषा काल (प्रातः समय) में उठने की स्थिति को दर्शाते हैं। कृष्ण के “अंबुज – कर-धारी” का अर्थ है कि वह कमल के फूल जैसे सुंदर और दिव्य हाथों वाले हैं। यह पंक्ति कृष्ण के दिव्य रूप और प्राकृत रूप के प्रति सूरदास की भक्ति को व्यक्त करती है।
9. सूरदास के काव्य में कृष्ण के प्रति प्रेम को किस प्रकार चित्रित किया गया है?
उत्तर : सूरदास के काव्य में कृष्ण के प्रति प्रेम को भक्ति, अर्पण और आत्मसमर्पण के रूप में चित्रित किया गया है। कृष्ण की बाल लीलाओं के माध्यम से उन्होंने प्रेम के विभिन्न रूपों को व्यक्त किया है। यह प्रेम पूर्णत: निस्वार्थ और अहंकार रहित है।
10. सूरदास के ‘प्रेम’ और ‘वात्सल्य’ में क्या अंतर है?
उत्तर : सूरदास का प्रेम कृष्ण के प्रति है, जो बिना किसी शर्त के है। वात्सल्य में माता-पिता का अपने बच्चे के प्रति गहरा प्रेम और देखभाल की भावना है। प्रेम और वात्सल्य दोनों में कृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्तिरस की गहरी अनुभूति है।
11. “बिधु मलीन रवि प्रकास गावंत नर नारी” का अर्थ क्या है?
उत्तर : इस पंक्ति में सूरदास ने चंद्रमा और सूर्य के प्रकाश की तुलना की है। बिधु (चंद्रमा) के मलीन होने का अर्थ है कि कृष्ण के बिना सूर्य और चंद्रमा की रोशनी फीकी है, यानी कृष्ण का प्रेम ही इस संसार की वास्तविक रौशनी है। यह प्रेम की अपार शक्ति को दर्शाता है।
12. सूरदास ने अपने काव्य में किस संगीत का प्रयोग किया?
उत्तर : सूरदास ने अपनी रचनाओं में संगीत का प्रयोग किया, जिससे उनके पदों में एक स्वाभाविक लय और संगीतात्मकता आयी। उनके पदों का गायन अत्यधिक मधुर और भावनाओं से भरपूर होता था। संगीत के बिना उनके पद अधूरे से लगते हैं।
13. “भोजन करि नंद अचमन लीन्हौ, माँगत सूर जुठनियाँ” का क्या अर्थ है?
उत्तर : इस पंक्ति में सूरदास ने नंद के द्वारा कृष्ण के साथ भोजन करने और सूर के द्वारा उनके जूठे खाने की प्रार्थना को दर्शाया है। यह सूरदास के भक्ति भाव को दर्शाता है, जिसमें वह कृष्ण के सभी कर्मों में शामिल होने की इच्छा रखते हैं।
14. “जेंवत स्याम नंद की कनियाँ” इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर : इस पंक्ति में सूरदास ने कृष्ण की नंद जी की कनियाँ (बहनों) के रूप में कृष्ण के शैशवकालीन प्रसंग को उजागर किया है। ‘जेंवत’ शब्द से यह दर्शाया गया है कि कृष्ण हमेशा अपने शिशु रूप में, अपनी सहज और निश्चल स्वभाव में रहते हैं।
15. सूरदास के पद “जागिए, ब्रजराज कुँवर, कँवल – कुसुम फूले” का क्या अर्थ है?
उत्तर : इस पंक्ति में सूरदास ने ब्रजराज कुँवर (कृष्ण) को जागने के लिए प्रेरित किया है। कँवल और कुसुम के फूलों के खिलने से प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाया गया है, जो सूरदास के काव्य में प्रेम और सौंदर्य की अभिव्यक्ति है। यह कृष्ण के प्रति भक्तिपूर्वक एक आह्वान है।
16. “कुमुद-वृंद संकुचित भए, भृंग लता भूले” इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर : सूरदास ने इस पंक्ति में कुमुद (कमल के फूल) और भृंग (मधुमक्खी) का प्रतीकात्मक उपयोग किया है। कुमुद के फूलों का संकुचित होना और भृंग का लता से भटक जाना, कृष्ण की अनुपस्थिति में प्रेम और सौंदर्य की क्षति को दर्शाता है। यह कृष्ण के बिना संसार की नीरसता और शून्यता को व्यक्त करता है।
17. “तमचुर खग रोर सुनहु बोलत बनराई” का क्या भावार्थ है?
उत्तर : इस पंक्ति में सूरदास ने प्रकृति की ओर संकेत किया है, जहाँ तमचुर (मुर्गा) की आवाज और खग (पक्षी) के रोर से जंगल की चुप्पी टूट रही है। यह पंक्ति सुबह के समय की सुंदरता और कृष्ण के आगमन की खुशी को दर्शाती है, जैसे सभी जीव-जंतुओं में एक नया उत्साह फैल गया हो।
18. “राँभति गो खरिकनि में, बछरा हित धाई” का क्या अर्थ है?
उत्तर : सूरदास ने इस पंक्ति में गायों के रंभाने और बछड़े की सुरक्षा के संदर्भ में कृष्ण के प्रति वात्सल्य भाव को व्यक्त किया है। यह पंक्ति कृष्ण के द्वारा बछड़े की रक्षा और माता यशोदा के प्रति उनकी देखभाल को दर्शाती है। यहाँ वात्सल्य भाव की मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति है।
Long Questions (with Answers)
1. सूरदास के काव्य में वात्सल्य भाव की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर : सूरदास के काव्य में वात्सल्य भाव कृष्ण और उनके माता-पिता के बीच गहरे प्रेम को दर्शाता है। उन्होंने कृष्ण की बाल लीलाओं में माता यशोदा का स्नेह और चिंता को चित्रित किया। इन पदों में प्रेम की गहराई और अपार स्नेह भाव को महसूस किया जा सकता है। सूरदास की वात्सल्य रचनाएँ जीवन की जटिलताओं को भूलकर प्रेम में तन्मय होने की प्रेरणा देती हैं।
2. ‘सूरसागर’ में सूरदास ने कृष्ण की लीलाओं का किस प्रकार चित्रण किया है?
उत्तर : सूरदास ने ‘सूरसागर’ में कृष्ण की बाल लीलाओं, किशोरावस्था की क्रीड़ों और उनके प्रेम के दृश्य को अत्यधिक भावपूर्ण तरीके से चित्रित किया है। इन लीलाओं में कृष्ण का प्रेम, सरलता और दिव्यता प्रमुख रूप से उभर कर आती है। सूरदास ने इन घटनाओं के माध्यम से भक्ति और प्रेम के रस को गहरे रूप में व्यक्त किया। उनका काव्य जीवन के आनंद और सुख को सहजता से दर्शाता है।
3. सूरदास के काव्य में संगीत और चित्रकला का क्या स्थान है?
उत्तर : सूरदास के काव्य में संगीत और चित्रकला का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसमें उनकी रचनाओं का स्वर और लय एक साथ मिलकर भावनाओं को संप्रेषित करते हैं। उनके पदों में चित्रकला और बिंबात्मकता का प्रयोग दृश्यात्मक अनुभव प्रदान करता है। सूरदास का काव्य संगीत और चित्रकला के अद्वितीय समागम के रूप में सामने आता है। उनके पद जैसे स्वरों में खिल उठते हैं और जीवंत हो जाते हैं।
4. सूरदास ने कृष्ण की शिशु लीलाओं को कैसे प्रस्तुत किया है?
उत्तर : सूरदास ने कृष्ण की शिशु लीलाओं को अत्यधिक भावपूर्ण और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है। उन्होंने कृष्ण की मासूमियत, दया और उनके प्रति माता-पिता के वात्सल्य भाव को केंद्रित किया है। सूरदास के पदों में शिशु कृष्ण के द्वारा किए गए छोटे-छोटे कार्यों में भी भावनाओं की गहरी अभिव्यक्ति है। ये पद पढ़ते वक्त पाठक कृष्ण की बाल लीलाओं में आत्मा से जुड़ जाता है।
5. सूरदास के काव्य में प्रेम और भक्ति के मेल को कैसे व्यक्त किया गया है?
उत्तर : सूरदास ने प्रेम और भक्ति के मेल को अपने काव्य में निःस्वार्थ और दिव्य रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने कृष्ण के प्रति भक्ति को प्रेम के माध्यम से व्यक्त किया है, जो ईश्वर के प्रति श्रद्धा और प्यार का एक अद्वितीय रूप है। उनके पदों में प्रेम और भक्ति के बीच कोई अंतर नहीं है, दोनों एक-दूसरे में घुले-मिले हैं। यह प्रेम दिव्य और निस्वार्थ है, जो कृष्ण के प्रति एकाग्रता और समर्पण की भावना को दर्शाता है।
6. सूरदास के ‘विनय भाव’ की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर : सूरदास के ‘विनय भाव’ में गहरी श्रद्धा और आत्मसमर्पण की भावना है। उन्होंने अपने पदों में कृष्ण से विनम्र निवेदन किया है, जिसमें भक्त की शरणागत भावना प्रमुख रूप से दिखाई देती है। सूरदास के काव्य में यह भाव न केवल व्यक्तिगत रूप से, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरक बनता है। उनके पदों में विनय और भक्ति का सम्मिलन अद्वितीय है।
7. सूरदास के काव्य में चित्रात्मकता और बिंबात्मकता का क्या प्रभाव है?
उत्तर : सूरदास के काव्य में चित्रात्मकता और बिंबात्मकता का प्रभाव गहरे भावनात्मक अनुभवों को दर्शाता है। उनकी पंक्तियों में दृश्यात्मकता इतनी स्पष्ट होती है कि पाठक तुरंत ही उन दृश्यों को अपनी आँखों में महसूस कर सकता है। सूरदास के काव्य में प्रत्येक शब्द और रूपक का उद्देश्य पाठक को भावनाओं की गहराई में ले जाना है। उनकी काव्यशक्ति ने उन्हें समय और समाज के परे एक अद्वितीय कवि बना दिया।
8. सूरदास के काव्य में प्रेम और शृंगार का संयोग कैसे किया गया है?
उत्तर : सूरदास ने प्रेम और शृंगार का संयोग अत्यधिक सूक्ष्मता और संवेदनशीलता के साथ किया है। उनके काव्य में शृंगार और प्रेम दोनों भाव एक साथ चलते हैं, जिसमें कृष्ण के प्रति प्रेम को शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि आत्मिक रूप से प्रस्तुत किया गया है। वे प्रेम और शृंगार को एक ऐसे एकात्मक रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसमें भक्ति और निष्ठा का गहरा मिश्रण है।
Leave a Reply