Short Questions (with Answers)
1. ओमप्रकाश वाल्मीकि का जन्म कब और कहाँ हुआ?
- ओमप्रकाश वाल्मीकि का जन्म 30 जून 1950 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के बरला गाँव में हुआ।
2. वाल्मीकि ने एम.ए. की पढ़ाई कहाँ से की?
- उन्होंने एम.ए. हिंदी में हेमवंती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से किया।
3. ‘जूठन’ किस प्रकार की रचना है?
- ‘जूठन’ ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा है।
4. हेडमास्टर कलीराम ने लेखक से कौन-सा कार्य कराया?
- उन्होंने लेखक से स्कूल का मैदान और बरामदा साफ कराया।
5. लेखक के पिता ने हेडमास्टर का सामना कैसे किया?
- उन्होंने लेखक के हाथ से झाड़ू छीनकर दूर फेंक दी और हेडमास्टर का विरोध किया।
6. लेखक को स्कूल में किस प्रकार का भेदभाव सहना पड़ा?
- उन्हें कक्षा में बैठने नहीं दिया गया और सफाई करवायी गयी।
7. लेखक की माँ किस तरह का काम करती थीं?
- लेखक की माँ साफ-सफाई और मजदूरी का काम करती थीं।
8. जूठन शब्द का क्या अर्थ है?
- जूठन का अर्थ बचा हुआ या जूठा भोजन है।
9. लेखक की बहन का नाम क्या था?
- उनकी बहन का नाम माया था।
10. मृत पशुओं की खाल से क्या लाभ होता था?
- खाल बेचने से 10-15 रुपए मिलते थे।
11. लेखक के पिता उनके लिए क्या कहकर बुलाते थे?
- उन्हें “मुंशीजी” कहकर बुलाते थे।
12. ‘जूठन’ में सामाजिक न्याय का क्या संदेश है?
- ‘जूठन’ सामाजिक समानता और अधिकारों का संदेश देती है।
13. लेखक के पिता की मूंछों को लेखक ने कैसे वर्णित किया?
- उन्होंने उन्हें घनी और गुस्से से फड़फड़ाने वाली बताया।
14. दलित साहित्य में ओमप्रकाश वाल्मीकि का क्या योगदान है?
- उन्होंने दलित समाज की पीड़ा और संघर्ष को साहित्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।
15. पाठ में लेखक ने कौन-कौन से कार्य स्वयं किए?
- उन्होंने झाड़ू लगाना और खाल उतारने जैसे कार्य किए।
16. पाठ में लेखक के बचपन को कैसे चित्रित किया गया है?
- उनके बचपन को शोषण, अपमान और संघर्षों से भरा दिखाया गया है।
17. हेडमास्टर कलीराम के व्यवहार से लेखक को कैसा अनुभव हुआ?
- लेखक को अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ा।
18. ‘जूठन’ के प्रकाशन का वर्ष क्या है?
- ‘जूठन’ का प्रकाशन 1997 में हुआ।
19. लेखक के पिता का क्या नाम था?
- उनके पिता का नाम छोटनलाल था।
20. पाठ में लेखक का सबसे बड़ा संघर्ष क्या है?
- सामाजिक भेदभाव और मानसिक पीड़ा से लड़ना।
Medium Questions (with Answers)
1. लेखक के पिताजी ने स्कूल में हेडमास्टर से क्या कहा?
- पिताजी ने देखा कि उनके बेटे से झाड़ू लगवाई जा रही है और उन्होंने झाड़ू फेंक दी। उन्होंने गुस्से में हेडमास्टर से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है। पिताजी ने अन्याय का कड़ा विरोध किया और बेटे को झाड़ू लगाने से रोका।
2. लेखक ने स्कूल में झाड़ू लगाने का अनुभव कैसा पाया?
- लेखक को झाड़ू लगाना शारीरिक और मानसिक रूप से अपमानजनक लगा। उसने महसूस किया कि उसे अपने सहपाठियों से अलग और नीचा दिखाया जा रहा है। यह अनुभव उसे गहरी पीड़ा और विद्रोह के भाव से भर देता है।
3. लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
- लेखक का परिवार अत्यंत गरीब था और सभी सदस्य मजदूरी करते थे। उनके पास पर्याप्त कपड़े और किताबें भी नहीं थीं। शिक्षा और जीवन के लिए संघर्ष करना उनके जीवन का हिस्सा था।
4. हेडमास्टर कलीराम ने लेखक को कौन-सा काम दिया?
- हेडमास्टर ने लेखक को स्कूल के कमरों और मैदान की सफाई का काम दिया। लेखक को पत्तों की झाड़ू बनाकर पूरे स्कूल को चमकाने का आदेश मिला। इससे लेखक को अपमान और थकान का सामना करना पड़ा।
5. लेखक की माँ और बहन घर में क्या काम करती थीं?
- माँ और बहनें गोबर उठाने और सफाई का काम करती थीं। उन्हें मेहनत के बदले बहुत कम अनाज मिलता था। यह काम उनके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से कष्टदायक था।
6. ‘जूठन’ आत्मकथा का मुख्य विषय क्या है?
- ‘जूठन’ दलित समाज के शोषण, अपमान और संघर्ष का वर्णन करती है। इसमें लेखक ने अपने जीवन के कड़वे अनुभव साझा किए हैं। यह समाज में समता और न्याय की आवाज उठाती है।
7. पढ़ाई के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
- लेखक को किताबों और कपड़ों की कमी झेलनी पड़ी। उसे सहपाठियों से चीजें उधार मांगनी पड़ती थीं। इस वजह से वह खुद को हीन महसूस करता था।
8. बचपन में लेखक ने बारातों में क्या देखा?
- लेखक ने देखा कि बारातियों की जूठन दलितों के लिए सामान्य भोजन था। जूठी पत्तलें इकट्ठा करना उनकी मजबूरी थी। यह समाज में उनकी दयनीय स्थिति को दर्शाता है।
9. लेखक के पिता ने स्कूल में अन्याय का कैसे विरोध किया?
- पिताजी ने झाड़ू फेंक दी और हेडमास्टर से तीखा सवाल किया। उन्होंने साहसपूर्वक बेटे के सम्मान की रक्षा की। उनका विरोध लेखक के जीवन में बड़ा सबक था।
10. लेखक की माँ ने शादी में क्या उम्मीद की थी?
- माँ ने सोचा था कि शादी में बचा हुआ खाना उन्हें मिलेगा। लेकिन उनके साथ अपमानजनक व्यवहार हुआ। यह घटना दलित समाज की दुर्दशा दिखाती है।
11. जूठन इकट्ठा करने का क्या महत्व था?
- जूठन इकट्ठा करना दलितों की जरूरत और मजबूरी थी। उन्हें बचा हुआ खाना सुखाकर कठिन समय में खाना पड़ता था। यह उनके जीवन का हिस्सा था।
12. लेखक ने हेडमास्टर की नजरों से क्या सीखा?
- लेखक ने महसूस किया कि उसे हर समय नजरों में रखा गया। यह अनुभव उसे हर पल डर और अपमान का एहसास कराता रहा। हेडमास्टर का यह व्यवहार अन्यायपूर्ण था।
13. जूठन को लेकर समाज का नजरिया क्या था?
- समाज ने जूठन को दलितों के हिस्से का भोजन मान लिया था। यह स्थिति उनके श्रम का अपमान और अमानवीय व्यवहार का प्रतीक थी। इसे लेखक ने गहरे दुख के साथ प्रस्तुत किया।
14. लेखक की भाभी ने क्या सलाह दी थी?
- भाभी ने कहा कि बच्चों को गंदगी और कठिनाई वाले कामों में मत झोंको। उन्होंने परिवार के लिए भूखा रहना बेहतर बताया। यह शब्द लेखक के लिए प्रेरणा बन गए।
15. लेखक के लेखन में दलित चेतना कैसे प्रकट होती है?
- लेखक ने अपने अनुभवों को संवेदनशीलता और सच्चाई से व्यक्त किया। उनका लेखन समता, न्याय और मानवीयता की आवाज उठाता है। यह दलित जीवन की समस्याओं को उजागर करता है।
Long Questions (with Answers)
1. लेखक के स्कूल में झाड़ू लगाने की घटना ने उसे क्या सिखाया?
- स्कूल में झाड़ू लगाने की घटना लेखक के लिए अपमानजनक और कष्टदायक थी। उसे महसूस हुआ कि जातिगत भेदभाव न केवल समाज में बल्कि शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में भी फैला हुआ है। इस घटना ने उसे अन्याय के प्रति जागरूक और विद्रोही बना दिया। उसने अनुभव किया कि मेहनत और पढ़ाई के बावजूद समाज उसके अधिकारों को नकारता है। यह अनुभव लेखक की लेखनी का आधार बना।
2. लेखक की माँ को अपने काम के बदले क्या मिलता था?
- लेखक की माँ और बहनें दूसरों के घरों में सफाई और गोबर उठाने का काम करती थीं। उन्हें इसके बदले बहुत कम अनाज और जूठन दी जाती थी। सर्दियों में यह काम और भी कठिन हो जाता था, क्योंकि ठंड में गोबर उठाना पीड़ादायक था। उनकी मेहनत का कोई सम्मान नहीं था, और उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। यह स्थिति समाज में दलितों की दयनीय स्थिति को दर्शाती है।
3. ‘जूठन’ आत्मकथा का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
- ‘जूठन’ ने समाज में दलितों की समस्याओं को उजागर किया और जातिगत भेदभाव पर सवाल उठाए। यह आत्मकथा दलित समाज की पीड़ा, अपमान और संघर्ष की सच्चाई को सामने लाती है। यह साहित्य सामाजिक न्याय, समानता और समता की मांग करती है। पाठकों के बीच यह आत्मकथा समाज में बदलाव और जागरूकता लाने का माध्यम बनी। ओमप्रकाश वाल्मीकि ने इसमें अपने व्यक्तिगत अनुभवों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
4. लेखक की भाभी ने बच्चों को लेकर क्या सुझाव दिया?
- लेखक की भाभी ने कहा कि बच्चों को गंदगी और कठिन कामों में झोंकने से अच्छा है कि भूखा रहा जाए। उन्होंने बच्चों को शिक्षा और सम्मान देने पर जोर दिया। भाभी के इस व्यवहार ने लेखक को प्रेरित किया कि वह इस स्थिति से बाहर निकले। यह सुझाव उसके लिए अंधेरे में उम्मीद की एक किरण की तरह था। उनके ये शब्द लेखक के जीवन में बदलाव के लिए निर्णायक बने।
5. लेखक ने बारातों में जूठन इकट्ठा करने का अनुभव कैसे किया?
- लेखक ने बचपन में बारातों में जूठन इकट्ठा करने को अपने समाज की दयनीय स्थिति के रूप में देखा। जूठी पत्तलें और बचा हुआ खाना दलितों का मुख्य भोजन बन चुका था। इस अनुभव ने उसे महसूस कराया कि उनका श्रम और मानवता दोनों का अपमान होता है। यह घटना उनके मन में सामाजिक असमानता और जातिगत भेदभाव के प्रति गहरा रोष पैदा करती है। इसने उनके साहित्य को सच्चाई और संवेदनशीलता दी।
6. हेडमास्टर कलीराम के व्यवहार ने लेखक के जीवन को कैसे प्रभावित किया?
- हेडमास्टर कलीराम ने लेखक से बार-बार झाड़ू लगवाकर उसे अपमानित किया। उन्होंने जातिगत भेदभाव का प्रदर्शन करते हुए उसे पढ़ाई से वंचित कर दिया। यह घटना लेखक के लिए अन्याय और शोषण का पहला बड़ा अनुभव था। इससे उसके भीतर आत्म-सम्मान और अधिकारों के प्रति चेतना जागी। यह घटना उनके साहित्य में समाज के प्रति सख्त आलोचना का आधार बनी।
7. लेखक के घर में आर्थिक तंगी का प्रभाव बच्चों पर कैसे पड़ा?
- आर्थिक तंगी के कारण लेखक और उसके भाई-बहन पढ़ाई में पिछड़ रहे थे। किताबों और कपड़ों की कमी के कारण उन्हें दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था। गरीबी ने उनके मन में आत्मसम्मान की भावना को प्रभावित किया। वे बचपन में ही परिवार के लिए काम करने लगे, जिससे उनकी शिक्षा बाधित हुई। यह कठिनाई उनके जीवन का सबसे बड़ा संघर्ष बन गई।
8. लेखक ने अपने जीवन में जातिगत भेदभाव को कैसे अनुभव किया?
- लेखक ने बचपन से जातिगत भेदभाव का सामना किया, चाहे वह स्कूल में झाड़ू लगाने की घटना हो या जूठन खाने की मजबूरी। समाज में उसकी जाति को लगातार नीचा दिखाने की कोशिश की गई। ये अनुभव लेखक के लिए पीड़ादायक थे, लेकिन उन्होंने उसे अन्याय के प्रति जागरूक किया। इस भेदभाव ने लेखक को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी। यह उनके साहित्य का प्रमुख विषय बना।
9. लेखक के लेखन में दलित चेतना का क्या योगदान है?
- लेखक का लेखन दलित समाज की पीड़ा और संघर्ष को प्रमुखता से प्रस्तुत करता है। उन्होंने अपने अनुभवों को आधार बनाकर सामाजिक न्याय और समानता की मांग की। उनके लेखन में जातिगत भेदभाव और शोषण के खिलाफ कड़ा विरोध है। उन्होंने दलित साहित्य को नया आयाम दिया, जो मानवता और समता की ओर प्रेरित करता है। उनकी लेखनी सामाजिक परिवर्तन की आवाज बन गई।
10. लेखक के बचपन की घटनाओं का उनकी आत्मकथा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- लेखक ने बचपन में अपने और परिवार के साथ हुए भेदभाव और अपमान को गहराई से महसूस किया। इन घटनाओं ने उनके भीतर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की चेतना जगाई। उन्होंने ‘जूठन’ में इन घटनाओं को सजीव रूप में प्रस्तुत किया। उनकी आत्मकथा समाज की कड़वी सच्चाई को उजागर करती है। यह उनकी व्यक्तिगत पीड़ा और सामाजिक असमानता का सशक्त चित्रण है।
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