Short Questions with Answers
1. सामाजिक संस्थाएँ क्या हैं?
उत्तर : सामाजिक संस्थाएँ वे संस्थाएँ हैं जो समाज के नियमों और मानकों को व्यवस्थित करती हैं।
2. सामाजिक संस्थाओं का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर : इनका उद्देश्य समाज के सदस्यों को नियंत्रित करना और उनके लिए अवसर प्रदान करना है।
3. संस्थाओं को स्वयं में लक्ष्य क्यों माना जाता है?
उत्तर : क्योंकि लोग परिवार, धर्म, और शिक्षा को अपने आप में एक उद्देश्य मानते हैं।
4. संघर्षवादी दृष्टिकोण सामाजिक संस्थाओं को कैसे देखता है?
उत्तर : यह दृष्टिकोण मानता है कि संस्थाएँ प्रभावशाली वर्गों के हित में संचालित होती हैं।
5. औपचारिक सामाजिक संस्थाओं के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर : औपचारिक सामाजिक संस्थाएँ कानून और शिक्षा हैं।
6. अनौपचारिक सामाजिक संस्थाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर : परिवार और धर्म अनौपचारिक सामाजिक संस्थाएँ हैं।
7. प्रकार्यवादी दृष्टिकोण का मुख्य तर्क क्या है?
उत्तर : यह मानता है कि सामाजिक संस्थाएँ समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए होती हैं।
8. परिवार क्या है?
उत्तर : परिवार प्रत्यक्ष नातेदारी संबंधों से जुड़े व्यक्तियों का समूह है।
9. नातेदारी बंधन क्या है?
उत्तर : यह विवाह या वंश परंपरा के माध्यम से रक्त संबंधियों को जोड़ता है।
10. मूल परिवार का क्या तात्पर्य है?
उत्तर : मूल परिवार वह है जहाँ पति बाहर काम करता है और पत्नी घर संभालती है।
11. संयुक्त परिवार का मुख्य लाभ क्या है?
उत्तर : संयुक्त परिवार में परिवार के बुजुर्गों की देखभाल बेहतर ढंग से हो सकती है।
12. महिला-प्रधान परिवार किसे कहते हैं?
उत्तर : महिला-प्रधान परिवार वे हैं जिनमें महिलाएँ मुख्य आर्थिक और सामाजिक जिम्मेदारी उठाती हैं।
13. विवाह के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर : विवाह दो प्रकार का होता है: एकविवाह और बहुविवाह।
14. अंतर्विवाह का अर्थ क्या है?
उत्तर : अंतर्विवाह वह है जिसमें विवाह अपने ही समूह में होता है।
15. बहिर्विवाह का क्या महत्व है?
उत्तर : बहिर्विवाह समूहों के बीच सामाजिक संबंध बढ़ाने में मदद करता है।
16. विवाह संस्था का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर : विवाह संस्था व्यक्तियों को सामाजिक मान्यता और स्थिरता प्रदान करती है।
17. कार्य का समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?
उत्तर : यह मानव की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन है।
18. आधुनिक समाजों में श्रम विभाजन का क्या महत्व है?
उत्तर : श्रम विभाजन उत्पादन को कुशल और आर्थिक निर्भरता को मजबूत बनाता है।
19. धर्म का समाजशास्त्रीय अध्ययन कैसे भिन्न है?
उत्तर : यह धर्म को समाज में इसकी भूमिका और प्रभाव के संदर्भ में देखता है।
20. धार्मिक अनुष्ठान क्या हैं?
उत्तर : यह प्रार्थना, पूजा, और विशेष प्रकार की सामाजिक क्रियाओं का समूह है।
21. शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर : शिक्षा व्यक्ति को सामाजिक दक्षता और आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदान करती है।
22. सामाजिक स्तरीकरण शिक्षा से कैसे जुड़ा है?
उत्तर : शिक्षा व्यक्तियों के बीच अवसरों की असमानता को दर्शाती है।
23. सामाजिक अधिकार क्या हैं?
उत्तर : सामाजिक अधिकारों में स्वास्थ्य, रोजगार, और न्यूनतम मजदूरी शामिल हैं।
24. प्रभुसत्ता का अर्थ क्या है?
उत्तर : प्रभुसत्ता एक क्षेत्र पर राज्य के अविवादित राजनीतिक शासन को दर्शाती है।
25. नागरिकता का क्या महत्व है?
उत्तर : नागरिकता व्यक्तियों को अधिकार और कर्तव्यों के साथ राजनीतिक पहचान देती है।
26. धर्म और राजनीति का संबंध क्या है?
उत्तर : धर्म और राजनीति सामाजिक परिवर्तन और शक्ति वितरण पर प्रभाव डालते हैं।
27. संघर्षवादी दृष्टि शिक्षा को कैसे देखती है?
उत्तर : यह शिक्षा को सामाजिक असमानता बढ़ाने वाले एक साधन के रूप में देखती है।
28. पंथनिरपेक्षता का क्या तात्पर्य है?
उत्तर : यह धर्म के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव कम होने की प्रक्रिया को दर्शाता है।
29. समाजशास्त्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर : समाजशास्त्र सामाजिक संरचनाओं और प्रक्रियाओं को समझने का प्रयास करता है।
30. आधुनिक समाजों में धर्म की क्या भूमिका है?
उत्तर : आधुनिक समाजों में धर्म सामाजिक मानकों को प्रभावित करता है और संस्कृति का हिस्सा बनता है।
Medium Questions with Answers
1. सामाजिक संस्थाएँ क्या हैं, और उनका क्या कार्य है?
उत्तर : सामाजिक संस्थाएँ ऐसी संरचनाएँ हैं जो समाज के नियमों और परंपराओं को नियंत्रित करती हैं। ये लोगों के व्यवहार को निर्देशित करने के साथ-साथ अवसर प्रदान करती हैं। इनमें परिवार, धर्म, शिक्षा, और राजनीति जैसी संस्थाएँ शामिल हैं।
2. सामाजिक संस्थाएँ व्यक्तियों पर कैसे प्रभाव डालती हैं?
उत्तर : सामाजिक संस्थाएँ व्यक्तियों को नियंत्रित करने के साथ-साथ उन्हें दिशा और अवसर प्रदान करती हैं। ये नियम और दंड के माध्यम से समाज में अनुशासन बनाए रखती हैं। साथ ही, व्यक्तियों के लिए उनकी भूमिकाओं को परिभाषित करती हैं।
3. प्रकार्यवादी दृष्टिकोण सामाजिक संस्थाओं को कैसे देखता है?
उत्तर : प्रकार्यवादी दृष्टिकोण सामाजिक संस्थाओं को समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण मानता है। यह दृष्टिकोण मानता है कि ये संस्थाएँ सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में सहायता करती हैं। उदाहरण के लिए, परिवार बच्चों का पालन-पोषण करता है और समाज को स्थिर बनाए रखता है।
4. संघर्षवादी दृष्टिकोण सामाजिक संस्थाओं पर क्या विचार रखता है?
उत्तर : संघर्षवादी दृष्टिकोण के अनुसार, सामाजिक संस्थाएँ प्रभावशाली वर्गों के हितों को सुरक्षित रखने का साधन हैं। यह मानता है कि संस्थाएँ समाज में असमानता बनाए रखने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, शिक्षा प्रणाली आर्थिक रूप से संपन्न वर्गों के पक्ष में काम करती है।
5. परिवार को सामाजिक संस्था के रूप में क्यों महत्वपूर्ण माना गया है?
उत्तर : परिवार एक प्राकृतिक सामाजिक संस्था है जो सभी समाजों में पाई जाती है। यह बच्चों के पालन-पोषण और मूल्यों की शिक्षा का काम करता है। यह समाज की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का एक माध्यम है।
6. मातृस्थानिक और पितृस्थानिक परिवार में क्या अंतर है?
उत्तर : मातृस्थानिक परिवार में नव-दंपति पत्नी के माता-पिता के साथ रहते हैं। वहीं, पितृस्थानिक परिवार में नव-दंपति पति के माता-पिता के साथ रहते हैं। यह भिन्नता समाज की परंपराओं और नियमों पर निर्भर करती है।
7. संयुक्त परिवार और मूल परिवार में क्या अंतर है?
उत्तर : संयुक्त परिवार में एक से अधिक पीढ़ी एक साथ रहती हैं और संसाधन साझा करती हैं। मूल परिवार में माता-पिता और उनके बच्चे रहते हैं। संयुक्त परिवार परंपरागत समाजों में अधिक प्रचलित हैं, जबकि आधुनिक समाजों में मूल परिवार सामान्य हैं।
8. संयुक्त परिवार में आयु वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर : आयु वृद्धि के कारण वृद्ध सदस्यों की संख्या बढ़ी है, जिससे संयुक्त परिवारों में वृद्धि हुई है। वृद्ध लोग अपने परिवार के साथ रहना पसंद करते हैं। यह परिवारों में संरचनात्मक बदलाव लाने में सहायक रहा है।
9. महिला-प्रधान परिवार कब बनते हैं?
उत्तर : महिला-प्रधान परिवार तब बनते हैं जब पुरुष बाहर काम करने चले जाते हैं, या जब महिलाएँ परिवार की एकमात्र भरण-पोषणकर्ता होती हैं। यह स्थिति विधवापन या पुरुषों द्वारा परिवार को छोड़ने के कारण भी उत्पन्न होती है।
10. विवाह संस्था समाज में क्या भूमिका निभाती है?
उत्तर : विवाह सामाजिक स्वीकृति प्राप्त लैंगिक संबंधों का आधार है। यह न केवल परिवार बनाने का साधन है, बल्कि समाज में नातेदारी संबंधों को भी बढ़ावा देता है। यह सांस्कृतिक और सामाजिक मानकों को बनाए रखने में सहायक है।
11. एकविवाह और बहुविवाह में क्या अंतर है?
उत्तर : एकविवाह में व्यक्ति एक समय में केवल एक साथी रखता है। बहुविवाह में एक व्यक्ति एक समय में एक से अधिक साथियों के साथ वैवाहिक संबंध में होता है। यह प्रथा समाज की आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
12. मातृवंशीय और पितृवंशीय समाज में क्या अंतर है?
उत्तर : मातृवंशीय समाज में वंश परंपरा माँ की ओर से चलती है, और अधिकार महिलाओं के पास होते हैं। पितृवंशीय समाज में वंश परंपरा पिता की ओर से चलती है, और अधिकार पुरुषों के पास होते हैं। यह समाज की संरचना और परंपराओं पर निर्भर करता है।
13. सामाजिक संस्थाएँ कैसे परस्पर संपर्क करती हैं?
उत्तर : सामाजिक संस्थाएँ एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी होती हैं। उदाहरण के लिए, परिवार आर्थिक, राजनीतिक, और शैक्षणिक संस्थाओं से प्रभावित होता है। ये संस्थाएँ मिलकर समाज की संरचना और स्थिरता बनाए रखती हैं।
14. परिवार में लिंग भेदभाव क्यों होता है?
उत्तर : परिवार में यह विश्वास प्रचलित है कि लड़का वृद्धावस्था में माता-पिता की देखभाल करेगा। इसके विपरीत, लड़कियाँ विवाह के बाद दूसरे घर चली जाती हैं। इस कारण लड़कों पर अधिक धन खर्च किया जाता है, जो लिंग असमानता को बढ़ावा देता है।
15. परिवार और आर्थिक जीवन कैसे जुड़े हुए हैं?
उत्तर : परिवार और आर्थिक जीवन गहरे जुड़े होते हैं क्योंकि परिवार आर्थिक इकाई के रूप में काम करता है। परिवार के सदस्य आर्थिक गतिविधियों में भाग लेते हैं और संसाधनों का प्रबंधन करते हैं। इसके अलावा, आर्थिक परिवर्तन परिवार की संरचना को भी प्रभावित करते हैं।
Long Questions with Answers
1. सामाजिक संस्थाएँ समाज में क्या भूमिका निभाती हैं?
उत्तर : सामाजिक संस्थाएँ समाज में नियम, परंपराएँ, और मान्यताओं को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये संस्थाएँ समाज में अनुशासन लाने, सदस्यों को नियंत्रित करने, और उन्हें अवसर प्रदान करने का कार्य करती हैं। परिवार, धर्म, राजनीति, और शिक्षा जैसी संस्थाएँ समाज की बुनियादी संरचना को बनाती हैं। इनके माध्यम से सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता सुनिश्चित होती है। इनका अध्ययन समाजशास्त्र और सामाजिक मानवविज्ञान के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
2. संघर्षवादी और प्रकार्यवादी दृष्टिकोण सामाजिक संस्थाओं को कैसे देखते हैं?
उत्तर : प्रकार्यवादी दृष्टिकोण मानता है कि सामाजिक संस्थाएँ समाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई जाती हैं और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखती हैं। इसके विपरीत, संघर्षवादी दृष्टिकोण मानता है कि संस्थाएँ प्रभावशाली वर्गों के हितों की रक्षा करती हैं। प्रकार्यवाद संतुलन और स्थिरता पर जोर देता है, जबकि संघर्षवाद असमानता और शक्ति संघर्ष को उजागर करता है। ये दोनों दृष्टिकोण सामाजिक संस्थाओं के कार्य और उनके प्रभाव को समझने में मदद करते हैं।
3. परिवार को सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था क्यों माना जाता है?
उत्तर : परिवार एक प्राथमिक सामाजिक संस्था है जो सभी समाजों में पाई जाती है। यह बच्चों के पालन-पोषण, सामाजिक मान्यताओं की शिक्षा, और भावनात्मक समर्थन का मुख्य स्रोत है। परिवार समाज के सदस्यों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करता है और उनके व्यक्तित्व के विकास में योगदान देता है। यह समाज में सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को बनाए रखने का भी कार्य करता है। इसके बिना सामाजिक संरचना को संगठित करना कठिन हो जाता है।
4. संयुक्त परिवारों में परिवर्तन के क्या कारण हैं?
उत्तर : संयुक्त परिवारों में परिवर्तन का मुख्य कारण औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बढ़ती प्रवृत्ति है। आयु वृद्धि और आर्थिक संसाधनों की कमी ने भी संयुक्त परिवारों को प्रभावित किया है। पारंपरिक संयुक्त परिवार अब छोटे और मूल परिवारों में बदल रहे हैं। साथ ही, आधुनिक समाजों में व्यक्तियों की अलग-अलग प्राथमिकताएँ इस बदलाव में योगदान देती हैं। फिर भी, कुछ क्षेत्रों में संयुक्त परिवार अभी भी प्रचलित हैं।
5. महिला-प्रधान परिवार किन स्थितियों में बनते हैं?
उत्तर : महिला-प्रधान परिवार तब बनते हैं जब पुरुष घर से दूर काम करने चले जाते हैं या परिवार को छोड़ देते हैं। यह स्थिति विधवापन, पति का दूसरा विवाह, या आर्थिक दबावों के कारण उत्पन्न होती है। महिलाओं को ऐसे परिवारों में भरण-पोषण और निर्णय लेने की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। इस प्रकार के परिवार अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों और जनजातीय समुदायों में देखे जाते हैं। यह परिवार की संरचना में लचीलापन और नई भूमिकाओं को दर्शाता है।
6. विवाह के रूपों को समझाइए।
उत्तर : विवाह के दो प्रमुख रूप हैं: एकविवाह और बहुविवाह। एकविवाह में व्यक्ति एक समय में केवल एक साथी से विवाह करता है, जबकि बहुविवाह में एक समय में एक से अधिक साथी हो सकते हैं। बहुविवाह में बहुपत्नी और बहुपति प्रथाएँ शामिल होती हैं। विवाह के अन्य रूप अंतर्विवाह (अपने समूह के भीतर विवाह) और बहिर्विवाह (अपने समूह के बाहर विवाह) हैं। ये रूप समाज की सांस्कृतिक और आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं।
7. सामाजिक संस्थाओं के परस्पर संपर्क का उदाहरण दीजिए।
उत्तर : सामाजिक संस्थाएँ आपस में गहराई से जुड़ी होती हैं। उदाहरण के लिए, परिवार आर्थिक गतिविधियों में भाग लेता है और शिक्षा के माध्यम से अपने सदस्यों को तैयार करता है। राजनीति और कानून परिवारों के अधिकार और कर्तव्यों को नियंत्रित करते हैं। धर्म सामाजिक मूल्यों को प्रभावित करता है और परिवार में नैतिकता का आधार बनता है। इस प्रकार, सामाजिक संस्थाएँ एक-दूसरे पर निर्भर होती हैं।
8. परिवार में लिंग भेदभाव के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर : परिवार में लिंग भेदभाव लड़कों को प्राथमिकता देता है क्योंकि उन्हें वृद्धावस्था में अभिभावकों का सहारा माना जाता है। लड़कियों को परिवार में सीमित अवसर और संसाधन मिलते हैं, जिससे उनका विकास प्रभावित होता है। यह भेदभाव शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार में असमानता का कारण बनता है। इस प्रवृत्ति से समाज में लिंग आधारित असमानता बढ़ती है। इसे समाप्त करने के लिए सामाजिक जागरूकता और नीतियों की आवश्यकता है।
9. परिवार और आर्थिक जीवन कैसे जुड़े हुए हैं?
उत्तर : परिवार आर्थिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह संसाधनों का प्रबंधन करता है और आर्थिक गतिविधियों में भाग लेता है। परिवार के सदस्य कृषि, व्यापार, और अन्य व्यवसायों में योगदान देते हैं। आर्थिक परिवर्तन, जैसे औद्योगिकीकरण और शहरीकरण, परिवार की संरचना को प्रभावित करते हैं। यह संबंध परिवार की वित्तीय स्थिति और सामाजिक भूमिका को निर्धारित करता है।
10. सामाजिक संस्थाएँ समाज में असमानता कैसे पैदा करती हैं?
उत्तर : कुछ सामाजिक संस्थाएँ प्रभावशाली वर्गों के पक्ष में काम करती हैं, जिससे असमानता उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए, शिक्षा प्रणाली आर्थिक रूप से संपन्न वर्गों को बेहतर अवसर प्रदान करती है। राजनीतिक और कानूनी संस्थाएँ भी विशेष वर्गों के हितों की रक्षा करती हैं। इससे समाज में जाति, वर्ग, और लिंग आधारित भेदभाव को बढ़ावा मिलता है। असमानता को समाप्त करने के लिए संस्थागत सुधारों की आवश्यकता है।
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