Important Questions For All Chapters – समाजशास्त्र Class 11
ग्रामीण तथा नगरीय समाज में सामाजिक परिवर्तन तथा सामाजिक व्यवस्था
Short Questions with Answers
1. समाजशास्त्र का उद्भव कब हुआ?
उत्तर : 17वीं से 19वीं सदी के बीच।
2. सामाजिक परिवर्तन को कैसे परिभाषित किया गया है?
उत्तर : किसी वस्तु या परिस्थिति की मूल संरचना में समय के साथ परिवर्तन।
3. मानव सभ्यता का अस्तित्व कितने वर्षों से माना जाता है?
उत्तर : 6,000 वर्षों से।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन क्यों धीमा होता है?
उत्तर : परंपरागत समाजिक संरचना के कारण।
5. सामाजिक परिवर्तन के कितने स्रोत बताए गए हैं?
उत्तर : पाँच: पर्यावरण, तकनीकी, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक।
6. डार्विन के सिद्धांत का क्या नाम है?
उत्तर : योग्यतम की उत्तरजीविता’।
7. औद्योगिक क्रांति का मुख्य योगदान क्या था?
उत्तर : वाष्प इंजन का विकास।
8. बाल श्रम कब अवैध घोषित किया गया?
उत्तर : 19वीं-20वीं सदी में।
9. क्रांतिकारी परिवर्तन का उदाहरण कौन सा है?
उत्तर : फ्रांसिसी क्रांति।
10. पर्यावरणीय परिवर्तन का उदाहरण क्या है?
उत्तर : 2004 की सुनामी।
11. सामाजिक परिवर्तन का सबसे तेज़ दौर कब आया?
उत्तर : पिछले 100 वर्षों में।
12. किस प्रकार के परिवर्तन को ‘क्रांतिकारी’ कहते हैं?
उत्तर : तेज़ और आकस्मिक।
13. ग्रामीण क्षेत्रों में शक्ति संरचना कैसे होती है?
उत्तर : परंपरागत और स्थिर।
14. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का महत्व क्या है?
उत्तर : ‘एक व्यक्ति, एक मत’ का सिद्धांत।
15. महिलाओं ने समानता के लिए किस समय संघर्ष तेज़ किया?
उत्तर : द्वितीय विश्व युद्ध के बाद।
16. धार्मिक मान्यताओं का सबसे बड़ा प्रभाव किस पर है?
उत्तर : समाज की संरचना पर।
17. शहरी क्षेत्रों में सबसे बड़ी समस्या क्या है?
उत्तर : स्थान की कमी।
18. डार्विन का योगदान समाज पर कैसे पड़ा?
उत्तर : सामाजिक अनुकूलता के सिद्धांत से।
19. शहरीकरण के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर : व्यापार, धर्म, और युद्ध।
20. गाँवों में किसका प्रभाव अधिक रहता है?
उत्तर : जाति और धर्म।
21. महिला उपभोक्ताओं के फैसले का प्रभाव कहाँ देखा गया?
उत्तर : विज्ञापनों और मीडिया पर।
22. सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के दो तरीके कौन से हैं?
उत्तर : स्वीकृति और बाध्यता।
23. सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा चालक कौन है?
उत्तर : तकनीकी और आर्थिक विकास।
24. राजनैतिक परिवर्तन का प्रमुख उदाहरण क्या है?
उत्तर : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम।
25. कागजी मुद्रा का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर : वित्तीय संस्थाओं और व्यापार की संरचना बदली।
Medium Questions with Answers
1. सामाजिक परिवर्तन के कारकों को कैसे वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर : सामाजिक परिवर्तन के कारकों को आंतरिक और बाहरी दो भागों में बाँटा गया है। प्राकृतिक, तकनीकी, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक आधारों पर भी इनका वर्गीकरण होता है। प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूकंप या सुनामी त्वरित परिवर्तन लाती हैं। तकनीकी विकास जैसे वाष्प इंजन ने औद्योगिक क्रांति को प्रेरित किया।
2. ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में सामाजिक परिवर्तन कैसे भिन्न है?
उत्तर : ग्रामीण क्षेत्रों में परिवर्तन धीमा होता है क्योंकि यह पारंपरिक संरचना पर निर्भर करते हैं। इसके विपरीत, शहरी क्षेत्रों में तकनीकी और आर्थिक कारक तेजी से प्रभाव डालते हैं। शहरों में जनसंख्या घनत्व और संसाधनों की माँग परिवर्तन को तेज करती है। गाँवों में जाति और धर्म का प्रभाव अधिक रहता है।
3. डार्विन के ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ का सामाजिक संदर्भ क्या है?
उत्तर : यह सिद्धांत बताता है कि जो लोग अपने परिवेश के अनुरूप खुद को ढालते हैं, वे ही टिक पाते हैं। सामाजिक परिवर्तन में यह विचार महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अनुकूलनशीलता विकास के लिए आवश्यक है। जो लोग बदलाव के लिए तैयार नहीं होते, वे पीछे रह जाते हैं। यह सिद्धांत सामाजिक डार्विनवाद का आधार भी है।
4. सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक व्यवस्था में संबंध कैसे देखा गया है?
उत्तर : सामाजिक परिवर्तन तभी समझ आता है जब कुछ चीजें स्थिर रहें। व्यवस्था परिवर्तन को नियंत्रित करती है और स्थिरता बनाए रखती है। व्यवस्था के अभाव में बदलाव अस्थिरता ला सकता है। सामाजिक व्यवस्था स्थायित्व और बदलाव दोनों के बीच संतुलन बनाती है।
5. महिलाओं ने समाज को कैसे बदला है?
उत्तर : महिलाओं ने समानता के लिए संघर्ष कर सामाजिक भूमिकाओं को बदला। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कारखानों में काम कर उन्होंने अपनी क्षमताएँ सिद्ध कीं। उपभोक्ता विज्ञापनों ने महिलाओं को निर्णायक भूमिका में प्रस्तुत किया। ये बदलाव महिलाओं के प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदलने में सहायक हुए।
6. डार्विन का सामाजिक परिवर्तन पर प्रभाव क्या है?
उत्तर : डार्विन ने ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ का सिद्धांत दिया, जो सामाजिक डार्विनवाद का आधार बना। इसने दिखाया कि केवल वही व्यक्ति या समाज टिक सकता है, जो बदलावों के अनुसार खुद को ढाल सके। यह विचार सामाजिक अनुकूलता और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। इससे समाजों को नई परिस्थितियों में ढलने की प्रेरणा मिली।
7. शहरीकरण ने भारतीय समाज को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर : शहरीकरण ने भारतीय समाज में आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन लाए। स्वतंत्रता के समय शहरी जनसंख्या केवल 17% थी, जो अब बढ़कर लगभग 35% हो गई है। यह प्रक्रिया जीवन शैली, रोजगार और सामाजिक संरचना को बदलने में सहायक हुई। शहरीकरण ने शिक्षा और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दिया।
8. सामाजिक परिवर्तन के पाँच प्रमुख स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर : सामाजिक संरचनाओं को प्रभावित करती हैं, जैसे सुनामी ने तटीय इलाकों को बदला। तकनीकी आविष्कार जैसे वाष्प इंजन ने औद्योगिक क्रांति को प्रेरित किया। आर्थिक सुधार, जैसे भूमि सुधार, ग्रामीण और शहरी समाजों को प्रभावित करते हैं। सांस्कृतिक परिवर्तन, जैसे धार्मिक विचारों में बदलाव, समाज की मान्यताओं को बदलते हैं।
Long Questions with Answers
1. औद्योगिक क्रांति ने समाज को कैसे बदला?
उत्तर : औद्योगिक क्रांति ने वाष्प शक्ति, रेलगाड़ियों और जहाजों जैसे तकनीकी आविष्कार किए। इनसे व्यापार, उद्योग और सामाजिक जीवन में तीव्र बदलाव आए। कृषि आधारित समाज से उद्योग आधारित समाज में परिवर्तन हुआ। रेलगाड़ियों ने व्यापार के नए मार्ग खोले और वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया। औद्योगिक क्रांति ने शहरीकरण और सामाजिक वर्गीकरण को भी बढ़ावा दिया।
2. पर्यावरणीय परिवर्तन समाज को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर : पर्यावरणीय परिवर्तन जैसे भूकंप और बाढ़ समाज की संरचना को बदल सकते हैं। प्राकृतिक आपदाएँ तटीय क्षेत्रों में सामाजिक संरचना को नष्ट कर देती हैं। तकनीकी प्रगति ने पर्यावरणीय प्रभावों को कम किया है। लेकिन, सुनामी जैसे घटनाओं ने दिखाया कि समाज प्रकृति से पूरी तरह अछूता नहीं है। पर्यावरणीय कारक समाज की गतिशीलता में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
3. सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक व्यवस्था के बीच अंतर्संबंध को समझाइए।
उत्तर : सामाजिक परिवर्तन तभी समझ में आता है जब सामाजिक व्यवस्था स्थिरता प्रदान करती है। सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन को रोकती या नियंत्रित करती है ताकि समाज में स्थायित्व बना रहे। स्थायित्व और बदलाव का यह संतुलन समाज के विकास में सहायक होता है। परिवर्तन की गति व्यवस्था पर निर्भर करती है, जो उसे नियंत्रित या प्रोत्साहित करती है। समाज में स्थिरता और परिवर्तन साथ-साथ चलते हैं।
4. ग्रामीण और शहरी समाज में सामाजिक संरचना कैसे भिन्न है?
उत्तर : ग्रामीण समाज परंपरागत, छोटे आकार और जाति आधारित होता है, जहाँ संबंध व्यक्तिगत होते हैं। शहरी समाज बड़ा, जटिल और पेशा आधारित होता है, जहाँ संबंध औपचारिक होते हैं। गाँवों में बदलाव धीमा होता है, जबकि शहरों में तकनीकी और आर्थिक कारणों से तेजी से परिवर्तन होता है। शहरीकरण ने ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है। दोनों समाज अपने-अपने तरीके से सामाजिक परिवर्तनों को अपनाते हैं।
5. बाल श्रम और सामाजिक परिवर्तन का क्या संबंध है?
उत्तर : बाल श्रम पहले सामान्य था, लेकिन 19वीं और 20वीं सदी में इसे कानूनन अवैध घोषित किया गया। इससे बच्चों के अधिकारों और शिक्षा पर जोर दिया गया। बाल श्रम की समाप्ति ने बच्चों की स्थिति और उनके भविष्य को सुरक्षित किया। यह सामाजिक संरचना में बड़ा बदलाव था, जिसने काम के अधिकारों और मानवाधिकारों को बढ़ावा दिया। यह परिवर्तन समाज की नैतिकता और सोच को दर्शाता है।
6. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने सामाजिक व्यवस्था को कैसे बदला?
उत्तर : स्वतंत्रता संग्राम ने न केवल ब्रिटिश राज का अंत किया, बल्कि सामाजिक संरचना को भी प्रभावित किया। इसने जाति, लिंग और धर्म के भेदभाव के खिलाफ संघर्ष को प्रेरित किया। समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा मिला। सार्वभौमिक मताधिकार और समान अधिकारों की शुरुआत हुई। इसने भारतीय समाज में नई पहचान और जागरूकता पैदा की।
7. तकनीकी परिवर्तन कैसे सामाजिक परिवर्तन का कारण बनते हैं?
उत्तर : तकनीकी आविष्कार जैसे वाष्प इंजन, रेलगाड़ी, और फोटोकॉपी मशीन ने समाज की गतिशीलता को बदला। वाष्प शक्ति ने औद्योगिक क्रांति को प्रेरित किया और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया। फोटोकॉपी और टेलीफोन ने संचार को तेज और सुलभ बनाया। तकनीकी प्रगति ने शिक्षा, रोजगार और सामाजिक रिश्तों को नई दिशा दी। तकनीकी परिवर्तन ने समाज के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है।
8. महिलाओं के अधिकारों में बदलाव का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर : महिलाओं के अधिकारों में बदलाव ने समाज को व्यापक रूप से बदला। समानता के संघर्ष ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में नई भूमिका प्रदान की। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान महिलाओं ने पुरुषों के कार्य संभाले, जिससे उनकी क्षमताओं को पहचान मिली। उपभोक्ता विज्ञापनों ने महिलाओं को निर्णायक उपभोक्ता के रूप में प्रस्तुत किया। इन बदलावों ने महिलाओं को स्वतंत्रता और समानता की दिशा में प्रेरित किया।
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