कवि परिचय: भारतेंदु हरिश्चंद्र
- भारतेंदु हरिश्चंद्र आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक माने जाते हैं।
- उन्होंने साहित्य, समाज और राजनीति में नवजागरण की शुरुआत की।
- उनकी रचनाओं में राष्ट्रवाद, सामाजिक चेतना, और राजनीतिक व्यंग्य के साथ-साथ मानवीय संवेदनाएँ भी प्रमुखता से उभरकर आती हैं।
- उनकी प्रमुख रचनाएँ – “अंधेर नगरी”, “भारत-दुर्दशा”, “सत्य हरिश्चंद्र” आदि।
पंक्तियाँ एवं सरल अर्थ:
1. रोवहु सब मिलिके आवहु भारत भाई।
हा हा! भारत-दुर्दशा न देखी जाई॥
- अर्थ: कवि भारतीयों से देश की दुर्दशा पर विलाप करने के लिए एकजुट होने का आह्वान करता है। वे देश की दयनीय स्थिति देखकर व्यथित हैं।
2. सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो।
सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो॥
सबके पहिले जो रूप रंग रस भीनो।
सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो॥
- अर्थ: भारत, जो कभी धन, बल, सभ्यता, और विद्या में अग्रणी था, अब उसी की स्थिति दयनीय हो गई है।
3. जहँ भए शाक्य हरिचंदरु नहुष ययाती।
जहँ राम युधिष्ठिर बासुदेव सर्याती॥
जहाँ भीम करन अर्जुन की छटा दिखाती।
तहँ रही मूढ़ता कलह अविद्या राती॥
- अर्थ: जहाँ कभी शूरवीर और धर्मात्मा राजा थे, वहाँ अब मूर्खता, अज्ञान, और कलह का अंधकार छाया हुआ है।
4. लरि बैदिक जैन डुबाई पुस्तक सारी।
करि कलह बुलाई जवनसैन पुनि भारी॥
तिन नासी बुधि बल बिद्या धन बहु बारी।
छाई अब आलस कुमति कलह अँधियारी॥
- अर्थ: धर्म, संस्कृति, और विद्या के महान ग्रंथ आपसी कलह और अज्ञान के कारण नष्ट हो गए। आलस्य और अंधकार ने बुद्धिमत्ता और शक्ति को ढक लिया है।
5. अंगरेजराज सुख साज सजे सब भारी।
पै धन बिदेश चलि जात इहै अति ख्वारी॥
ताहू पै महँगी काल रोग बिस्तारी।
दिन दिन दूने दुःख ईस देत हा हा री॥
- अर्थ: अंग्रेजी शासन ने भले ही सुख-सुविधाएँ दीं, लेकिन इससे भारत का धन विदेश चला गया। साथ ही, गरीबी, महँगाई, और बीमारियों ने देश को और अधिक संकट में डाल दिया।
कविता का मुख्य भाव
- यह कविता भारत के अतीत के गौरव और वर्तमान की दुर्दशा के बीच के वैषम्य को चित्रित करती है।
- कवि अंग्रेजी शासन के दुष्प्रभाव और भारत की आंतरिक कमजोरियों को उजागर करते हैं।
- भारतेंदु ने भारतीय समाज की अशिक्षा, अंधविश्वास, और आंतरिक कलह पर गहरा व्यंग्य किया है।
- कविता में राष्ट्रीय चेतना और जागरण का संदेश छिपा है, जो स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- अतीत का गौरव: भारत के वैभवशाली अतीत का वर्णन – राजा राम, युधिष्ठिर, अर्जुन आदि।
- वर्तमान की दुर्दशा: अशिक्षा, अंधविश्वास, और अंग्रेजी शासन के कारण देश की गिरावट।
- अंग्रेजों का शासन: आर्थिक शोषण और सामाजिक संकट का चित्रण।
- राष्ट्रीय चेतना: कवि देशवासियों को एकजुट होकर इस दुर्दशा से उबरने के लिए प्रेरित करते हैं।
Leave a Reply