छोटे महत्वपूर्ण प्रश्न
1. मीराबाई का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: मीराबाई का जन्म 1504 ई. में राजस्थान के कुडकी गाँव में हुआ था।
2. मीराबाई के पिता कौन थे?
उत्तर: मीराबाई के पिता रतनसिंह राठौर थे।
3. मीराबाई का विवाह किससे हुआ था?
उत्तर: मीराबाई का विवाह चित्तौड़ के राणा भोजराज से हुआ था।
4. मीराबाई ने किसके प्रति भक्ति व्यक्त की है?
उत्तर: मीराबाई ने श्रीकृष्ण के प्रति अटूट भक्ति व्यक्त की है।
5. मीराबाई की प्रमुख रचनाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: मीराबाई की रचनाओं में ‘गीत गोविंद की टीका’, ‘नरसीजी का मायरा’, और ‘राग गोविंद’ प्रमुख हैं।
6. मीराबाई किस भक्ति धारा से संबंधित थीं?
उत्तर: मीराबाई सगुण भक्ति धारा की कृष्णोपासक शाखा से संबंधित थीं।
7. मीराबाई के पति का निधन कब हुआ?
उत्तर: मीराबाई के पति का निधन विवाह के सात वर्षों बाद हुआ।
8. मीराबाई ने समाज की कौन-सी परंपराओं को अस्वीकार किया?
उत्तर: मीराबाई ने सती प्रथा और सामाजिक रूढ़ियों को अस्वीकार किया।
9. मीराबाई का अंत कहां हुआ?
उत्तर: मीराबाई का अंत द्वारका में हुआ।
10. मीराबाई ने अपना जीवन कैसे व्यतीत किया?
उत्तर: मीराबाई ने अपना जीवन श्रीकृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया।
11. मीराबाई ने ‘ठाकुर’ शब्द का किसके लिए प्रयोग किया है?
उत्तर: मीराबाई ने ‘ठाकुर’ शब्द का प्रयोग श्रीकृष्ण के लिए किया है।
12. ‘तुम भये चंदा, मैं भई चकोरा’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि मीराबाई श्रीकृष्ण के प्रेम में पूरी तरह समर्पित हैं।
13. कृष्ण के प्रति मीराबाई का प्रेम कैसा था?
उत्तर: मीराबाई का प्रेम निःस्वार्थ और अटूट था।
14. ‘तुम भये मोती, प्रभु हम भये धागा’ का क्या भाव है?
उत्तर: इसका भाव है कि मीराबाई और श्रीकृष्ण का संबंध अटूट है।
15. मीराबाई ने ‘पिया’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है?
उत्तर: मीराबाई ने ‘पिया’ शब्द का प्रयोग श्रीकृष्ण के लिए किया है।
16. मीराबाई के अनुसार असली पति कौन हैं?
उत्तर: मीराबाई के अनुसार श्रीकृष्ण ही उनके असली पति हैं।
17. ‘रैण पड़े तब ही उठ जाऊँ’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि मीराबाई दिन-रात श्रीकृष्ण की सेवा में तत्पर रहती हैं।
18. मीराबाई के अनुसार प्रेम का सर्वोच्च रूप क्या है?
उत्तर: मीराबाई के अनुसार प्रेम का सर्वोच्च रूप ईश्वर भक्ति है।
19. ‘जो पहिरावे सोई पहिरूँ’ का क्या संकेत है?
उत्तर: यह मीराबाई के श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पण को दर्शाता है।
20. मीराबाई ने ‘बलि जाऊँ’ का क्या अर्थ बताया है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि मीराबाई श्रीकृष्ण पर अपनी जान भी न्योछावर कर सकती हैं।
मध्यम महत्वपूर्ण प्रश्न
1. मीराबाई ने कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को कैसे व्यक्त किया है?
उत्तर: मीराबाई ने कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को अद्वितीय समर्पण और अटूट निष्ठा के माध्यम से व्यक्त किया। वे स्वयं को उनकी दासी मानती हैं और अपनी भावनाओं को कविता में उजागर करती हैं। उनका प्रेम सांसारिक बंधनों से मुक्त है।
2. ‘तुम भये तरुवर मैं भई पँखिया’ का भावार्थ समझाइए।
उत्तर: इस पंक्ति में मीराबाई ने श्रीकृष्ण को वृक्ष और स्वयं को पक्षी के रूप में प्रस्तुत किया है। यह दर्शाता है कि वे श्रीकृष्ण के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकतीं। यह गहरा भावनात्मक संबंध और समर्पण प्रकट करता है।
3. मीराबाई ने सच्चे प्रेम की व्याख्या कैसे की है?
उत्तर: मीराबाई के अनुसार सच्चा प्रेम वह है, जिसमें किसी प्रत्युत्तर की अपेक्षा न हो। यह प्रेम आत्मा का समर्पण है, जो केवल ईश्वर के प्रति हो सकता है। उनके अनुसार, यह प्रेम सभी सांसारिक बंधनों से ऊपर है।
4. ‘गिरधर म्हारो साँचो प्रीतम’ में मीराबाई का भाव क्या है?
उत्तर: इस पंक्ति में मीराबाई ने श्रीकृष्ण को अपना सच्चा प्रियतम बताया है। उनके अनुसार, संसार का कोई भी संबंध इस सत्य के सामने महत्वहीन है। यह उनकी भक्ति और प्रेम की अटूटता को दर्शाता है।
5. मीराबाई के जीवन में सती प्रथा के विरोध का क्या महत्व था?
उत्तर: मीराबाई ने सती प्रथा को अस्वीकार कर समाज की रूढ़ियों के विरुद्ध कदम उठाया। यह उनके स्वतंत्र विचार और कृष्ण भक्ति में उनके समर्पण का प्रतीक था। उनके इस निर्णय ने समाज में महिलाओं की स्थिति पर बड़ा प्रभाव डाला।
6. मीराबाई ने कृष्ण की तुलना में स्वयं को कैसे प्रस्तुत किया है?
उत्तर: मीराबाई ने श्रीकृष्ण को चंदा, मोती और सोना कहा, और स्वयं को चकोरा, धागा और सोहागा। यह तुलना उनके गहरे प्रेम और उनके प्रति समर्पण को दर्शाती है।
7. मीराबाई ने अपने जीवन में किस प्रकार की यातनाएँ सही?
उत्तर: मीराबाई ने अपने ससुराल में कृष्ण भक्ति के कारण अत्यधिक यातनाएँ सही। उन्हें सामाजिक तिरस्कार और विषपान तक सहना पड़ा। बावजूद इसके, उनकी कृष्ण के प्रति भक्ति अडिग रही।
8. ‘जो दे सोई खाऊँ’ का क्या संकेत है?
उत्तर: यह पंक्ति मीराबाई के श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पण और उनके निर्णय को स्वीकार करने की भावना को व्यक्त करती है। यह उनके अटूट विश्वास का प्रतीक है।
9. मीराबाई के काव्य की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: मीराबाई के काव्य में सादगी, भक्ति की गहराई और मार्मिकता है। उनका काव्य श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण को अद्भुत अभिव्यक्ति देता है। उनकी रचनाओं में भक्ति रस प्रमुख है।
10. मीराबाई का जीवन और काव्य हमें क्या सिखाता है?
उत्तर: मीराबाई का जीवन और काव्य हमें अटूट विश्वास, प्रेम, और समाज की रूढ़ियों से ऊपर उठने की प्रेरणा देता है। यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति ही जीवन का सार है।
लंबे महत्वपूर्ण प्रश्न
1. मीराबाई ने कृष्ण भक्ति के लिए अपने पारिवारिक बंधनों को क्यों त्याग दिया?
उत्तर : मीराबाई का मानना था कि सांसारिक बंधन और सामाजिक रूढ़ियाँ ईश्वर की भक्ति में बाधा हैं। उनके अनुसार, श्रीकृष्ण ही उनके सच्चे पति और प्रियतम हैं। उन्होंने सांसारिक सुखों और बंधनों को छोड़कर ईश्वर भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह उनकी भक्ति और प्रेम की पराकाष्ठा थी।
2. मीराबाई ने ‘तुम भये मोती, प्रभु हम भये धागा’ से क्या व्यक्त किया है?
उत्तर : इस पंक्ति में मीराबाई ने अपने और श्रीकृष्ण के रिश्ते को गहराई से व्यक्त किया है। मोती और धागा एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, वैसे ही मीराबाई स्वयं को श्रीकृष्ण के बिना अधूरी मानती हैं। यह उनके अटूट प्रेम और आत्मसमर्पण का प्रतीक है।
3. मीराबाई के काव्य में भक्ति और प्रेम का क्या संबंध है?
उत्तर : मीराबाई के काव्य में भक्ति और प्रेम एक-दूसरे के पूरक हैं। उनकी भक्ति में गहराई और प्रेम में दिव्यता है। यह प्रेम सांसारिक नहीं, बल्कि आत्मा और ईश्वर के बीच का अटूट बंधन है।
4. मीराबाई के जीवन का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर : मीराबाई के जीवन ने समाज को रूढ़िवादी परंपराओं पर प्रश्न उठाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिलाओं के अधिकार और ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संदेश दिया। उनका जीवन नारी स्वाधीनता का प्रतीक बन गया।
5. ‘रैण दिना वा के संग खेलूँ’ का क्या भाव है?
उत्तर : इस पंक्ति में मीराबाई ने श्रीकृष्ण के साथ दिन-रात रहने की इच्छा व्यक्त की है। उनका प्रेम इतना गहरा है कि वे हर समय उनके साथ रहना चाहती हैं। यह भक्ति और प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
6. मीराबाई की भक्ति भावना को समाज ने कैसे देखा?
उत्तर : मीराबाई की भक्ति भावना को समाज ने शुरुआती दौर में अस्वीकार किया। उन्हें रूढ़िवादियों ने अपमानित किया और यातनाएँ दीं। लेकिन उनकी भक्ति और समर्पण ने अंततः समाज को प्रभावित किया।
7. मीराबाई ने कृष्ण को अपना ‘साँचो प्रीतम’ क्यों कहा है?
उत्तर : मीराबाई ने श्रीकृष्ण को अपना ‘साँचो प्रीतम’ कहा क्योंकि उनके अनुसार श्रीकृष्ण ही असली प्रेम के पात्र हैं। उनका यह विश्वास सांसारिक प्रेम और बंधनों से ऊपर था। यह भक्ति की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
8. मीराबाई का काव्य अन्य भक्त कवियों से कैसे अलग है?
उत्तर : मीराबाई का काव्य गहन प्रेम और भक्ति का संगम है। इसमें सांगीतिकता, माधुर्य और सहजता है। उनकी कविताएँ उनके व्यक्तिगत अनुभवों और अटूट भक्ति को व्यक्त करती हैं, जो उन्हें अन्य भक्त कवियों से अलग बनाती हैं।
Leave a Reply