छोटे महत्वपूर्ण प्रश्न
1. फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर : फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 को औराही हिंगना, पूर्णिया (वर्तमान अररिया), बिहार में हुआ था।
2. रेणु को आंचलिक कथाकार क्यों कहा जाता है?
उत्तर : रेणु को आंचलिक कथाकार कहा जाता है क्योंकि उनकी रचनाएँ ग्रामीण अंचलों की सजीवता और संस्कृति को दर्शाती हैं।
3. रेणु का पहला उपन्यास कौन-सा है?
उत्तर : रेणु का पहला उपन्यास ‘मैला आँचल’ है।
4. ‘कोसी’ को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर : ‘कोसी’ को ‘बिहार का शोक’ कहा जाता है।
5. लेखक ने ‘कोसी’ को किस तरह व्यक्त किया है?
उत्तर : लेखक ने ‘कोसी’ को ‘माई’ और ‘डायन’ दोनों रूपों में प्रस्तुत किया है।
6. कोसी क्षेत्र की प्रमुख समस्या क्या थी?
उत्तर : कोसी क्षेत्र की प्रमुख समस्या बाढ़ और भूमि का बंजर होना थी।
7. कोसी योजना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर : कोसी योजना का उद्देश्य कोसी नदी के प्रकोप को नियंत्रित कर क्षेत्र को उपजाऊ बनाना था।
8. रेणु का दूसरा उपन्यास कौन-सा है?
उत्तर : रेणु का दूसरा उपन्यास ‘परती परिकथा’ है।
9. रेणु ने ‘डायन कोसी’ शीर्षक से क्या लिखा था?
उत्तर : उन्होंने ‘डायन कोसी’ शीर्षक से एक रिपोर्ताज लिखा था।
10. ‘परती परिकथा’ का आरंभ किन शब्दों से होता है?
उत्तर : ‘परती परिकथा’ का आरंभ ‘धरती नहीं, धरती की लाश’ शब्दों से होता है।
11. लेखक ने कोसी अंचल को किससे तुलना की है?
उत्तर : लेखक ने कोसी अंचल को बाँझ धरती से तुलना की है।
12. कोसी योजना के बाद क्या परिवर्तन आया?
उत्तर : कोसी योजना के बाद क्षेत्र हरा-भरा और उपजाऊ बन गया।
13. सुदामा नामक व्यक्ति का उल्लेख क्यों किया गया है?
उत्तर : सुदामा नामक व्यक्ति कोसी क्षेत्र में हुए परिवर्तन का प्रतीक है।
14. रेणु की प्रमुख साहित्यिक विधाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर : रेणु ने उपन्यास, कहानी, संस्मरण, और रिपोर्ताज विधाओं में लेखन किया।
15. कोसी परियोजना में मुख्य कार्य क्या थे?
उत्तर : कोसी परियोजना में बाँध बनाना और सिंचाई सुविधाएँ विकसित करना मुख्य कार्य थे।
16. रेणु का शिक्षा का प्रारंभ कहाँ हुआ?
उत्तर : उनकी प्रारंभिक शिक्षा गढ़बनैली और सिमरबनी में हुई।
17. ‘प्राणों में घुले हुए रंग’ से लेखक का क्या अभिप्राय है?
उत्तर : इसका अभिप्राय है कि लेखक कोसी क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव के लिए आशावान थे।
18. रेणु ने अपनी रचनाओं में किसे प्रमुखता दी है?
उत्तर : उन्होंने ग्रामीण अंचल के लोगों और उनकी समस्याओं को प्रमुखता दी है।
19. कोसी क्षेत्र के लोगों की मुख्य समस्या क्या थी?
उत्तर : उनकी मुख्य समस्या बाढ़ और बीमारियों से जूझना था।
20. रेणु के साहित्य में किस तरह का संगीत अनुभव होता है?
उत्तर : उनकी रचनाओं में कथा गद्य के अंतर्गत लय और संगीत का अनुभव होता है।
मध्यम महत्वपूर्ण प्रश्न
1. फणीश्वरनाथ रेणु की भाषा और शैली की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर : रेणु की भाषा सरल, प्रभावशाली और सांस्कृतिक रंगों से भरपूर है। उनकी शैली में आंचलिकता के साथ-साथ संगीतात्मकता झलकती है। वे पाठकों को अपनी रचनाओं से गहराई तक जोड़ने में सक्षम हैं।
2. ‘कोसी परियोजना’ का उद्देश्य क्या था?
उत्तर : ‘कोसी परियोजना’ का उद्देश्य कोसी नदी की विनाशकारी बाढ़ को रोकना और क्षेत्र को उपजाऊ बनाना था। इस परियोजना ने लाखों हेक्टेयर बंजर भूमि को हरी-भरी फसलों में बदल दिया। यह मानव प्रयास और पुरुषार्थ का अद्भुत उदाहरण है।
3. लेखक ने ‘सुदामा जी’ की कथा का उल्लेख क्यों किया?
उत्तर : सुदामा जी की कथा में कोसी परियोजना की सफलता की कहानी है। यह बताता है कि कैसे बंजर जमीन हरी-भरी फसल में बदल गई। लेखक ने इसे परिवर्तन और प्रगति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया।
4. ‘परती परिकथा’ उपन्यास में लेखक ने क्या चित्रित किया है?
उत्तर : ‘परती परिकथा’ में बंजर भूमि के हरे-भरे खेतों में बदलने की कहानी है। यह मानव श्रम और दृढ़ संकल्प की शक्ति को दर्शाता है। उपन्यास ने कोसी क्षेत्र के संघर्ष और बदलाव को जीवंत किया।
5. रेणु ने ‘पद्मश्री’ सम्मान क्यों त्याग दिया?
उत्तर : रेणु ने 1974 में बिहार आंदोलन के दौरान सरकार के दमन के विरोध में ‘पद्मश्री’ त्याग दिया। यह उनके सामाजिक और राजनीतिक सिद्धांतों की दृढ़ता को दर्शाता है।
6. ‘कोसी’ को ‘माई’ क्यों कहा गया है?
उत्तर : ‘कोसी’ को ‘माई’ इसलिए कहा गया क्योंकि यह जीवनदायिनी नदी है। यह क्षेत्र को पानी और समृद्धि देती है। हालांकि, बाढ़ के कारण इसे ‘डायन’ भी कहा जाता है।
7. कोसी क्षेत्र में जीवन कैसा था?
उत्तर : कोसी क्षेत्र में जीवन कठिन और संघर्षपूर्ण था। मलेरिया और कालाजार से लोग पीड़ित थे। बंजर भूमि और गरीबी ने जीवन को उदासीन बना दिया था।
8. रेणु के रिपोर्ताज की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर : रेणु के रिपोर्ताज में दृश्य और चरित्रों का यथार्थपूर्ण चित्रण है। वे पाठकों को घटनाओं और स्थानों से जोड़ने में सफल रहते हैं। उनकी शैली में सहानुभूति और संवेदनशीलता झलकती है।
9. ‘परती’ का रंग लेखक ने किस तरह से दर्शाया है?
उत्तर : लेखक ने ‘परती’ को उदासी और वीरानी का प्रतीक बताया है। बरसात में यह थोड़ी हरियाली दिखाती है लेकिन फिर से बंजर हो जाती है। यह एक संघर्षशील जीवन का प्रतीक है।
10. ‘स्वप्न’ का महत्व रेणु की रचनाओं में कैसे है?
उत्तर : रेणु की रचनाओं में ‘स्वप्न’ भविष्य की आशाओं और संभावनाओं का प्रतीक है। उन्होंने इसे मानव जीवन की प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया। ‘स्वप्न’ उनके लेखन का एक महत्वपूर्ण तत्व है।
11. लेखक ने ‘डैम’ का उल्लेख क्यों किया है?
उत्तर : लेखक ने ‘डैम’ का उल्लेख कोसी परियोजना के माध्यम से प्रगति का प्रतीक बताया है। डैम ने बाढ़ को रोककर क्षेत्र को समृद्ध बनाया। यह मानव श्रम की सफलता का प्रतीक है।
लंबे महत्वपूर्ण प्रश्न
1. कोसी क्षेत्र में लेखक ने जीवन के संघर्ष को कैसे व्यक्त किया है?
उत्तर : कोसी क्षेत्र का जीवन कठिनाइयों से भरा था, जहाँ बंजर भूमि और बाढ़ ने लोगों का जीवन दूभर कर दिया। लोग मलेरिया और कालाजार जैसी बीमारियों से जूझते थे। लेखक ने इस क्षेत्र की दुर्दशा को व्यक्तिगत अनुभवों से जोड़कर मार्मिकता दी है। इसके साथ ही, उन्होंने मानव श्रम और आशा की किरण को भी उजागर किया। संघर्ष के इस चित्रण से कोसी क्षेत्र की वास्तविकता पाठकों के सामने आती है।
2. ‘डायन कोसी’ से ‘हरी क्रांति’ तक की यात्रा का वर्णन करें।
उत्तर : ‘डायन कोसी’ ने विनाशकारी बाढ़ से भूमि को बंजर बना दिया था। ‘हरी क्रांति’ कोसी परियोजना के माध्यम से आई, जिसने परती भूमि को उपजाऊ बनाया। इस परियोजना ने किसानों के जीवन में खुशहाली लाई और क्षेत्र को समृद्ध किया। लेखक ने इस बदलाव को अपने रिपोर्ताज और उपन्यासों में जीवंत रूप से चित्रित किया। यह मानव प्रयास की शक्ति और दृढ़ संकल्प का अद्भुत उदाहरण है।
3. ‘परती परिकथा’ में लेखक ने किन मुख्य विचारों को व्यक्त किया है?
उत्तर : ‘परती परिकथा’ में लेखक ने बंजर भूमि के हरियाली में बदलने की कहानी लिखी है। यह उपन्यास मानव श्रम, आशा और संघर्ष की महत्ता को दर्शाता है। उन्होंने डैम निर्माण, बाढ़ नियंत्रण, और कृषि विकास की सफलता का वर्णन किया है। यह रचना कोसी क्षेत्र के किसानों की दुर्दशा और उनके जीवन में आए परिवर्तन को उजागर करती है। उपन्यास सामाजिक और आर्थिक विकास का प्रतीक बनता है।
4. फणीश्वरनाथ रेणु की रचनाओं में ग्रामीण जीवन का महत्व क्या है?
उत्तर : रेणु की रचनाओं में ग्रामीण जीवन का चित्रण उनके लेखन की प्रमुख विशेषता है। उन्होंने अपने उपन्यासों और कहानियों में ग्रामीण संस्कृति, समस्याएँ, और संघर्षों को सजीवता से प्रस्तुत किया। उनकी भाषा में आंचलिकता की झलक और पात्रों में स्थानीयता का समावेश दिखता है। यह ग्रामीण समाज की यथार्थता को उजागर करता है। उनकी रचनाएँ भारतीय गांवों के जीवन का आइना हैं।
5. ‘कोसी परियोजना’ का सामाजिक और आर्थिक महत्व क्या है?
उत्तर : ‘कोसी परियोजना’ ने सामाजिक और आर्थिक रूप से क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए। इसने बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया और लाखों किसानों को रोजगार दिया। नहरों और बाँधों के माध्यम से पानी की समस्या हल हुई और खेती संभव हुई। यह परियोजना ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन का प्रतीक बनी। इसके माध्यम से क्षेत्र में हरियाली और खुशहाली लौटी।
6. रेणु ने ‘सुदामा जी’ की कथा का उपयोग कैसे किया है?
उत्तर : ‘सुदामा जी’ की कथा को लेखक ने परिवर्तन और आशा का प्रतीक बनाया है। यह कहानी बताती है कि कैसे एक बंजर भूमि पर हरियाली आई और एक प्रवासी अपने गाँव लौट आया। लेखक ने इसे ग्रामीण विकास और कोसी परियोजना की सफलता से जोड़ा है। यह ग्रामीण समाज में जागरूकता और प्रगति का संदेश देती है। कहानी मानवीय उम्मीदों और प्रयासों की मिसाल है।
7. फणीश्वरनाथ रेणु के रिपोर्ताज की शैली और दृष्टिकोण पर प्रकाश डालें।
उत्तर : रेणु के रिपोर्ताज में सामाजिक और प्राकृतिक परिवेश का गहन चित्रण होता है। उनकी शैली सरल, संवेदनशील और पाठकों को जोड़ने वाली है। वे घटनाओं और चरित्रों को इतने जीवंत ढंग से प्रस्तुत करते हैं कि पाठक खुद को उस परिवेश में महसूस करता है। उनका दृष्टिकोण मानवीयता और आशा पर आधारित है। यह शैली उन्हें एक श्रेष्ठ रिपोर्ताज लेखक बनाती है।
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