बेजोड़ गायिका : लता मंगेशकर (कुमार गंधर्व)
प्रश्न 1.लता मंगेशकर की आवाज सुनकर लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- जब लेखक की रेडियों पर पहले-पहल लता मंगेशकर की आवाज सुनाई पड़ी तो उन्हें उस स्वर में एक दुर्निवार आकर्षण प्रतीत हुआ। स्वर का जादुई प्रभाव उन्हें बरबस अपनी ओर खींच ले गया। वे विस्मय-विमुग्ध हो उसके श्रवण-मनन में तन्मय-तल्लीन हो गये।
प्रश्न 2.‘लता मंगेशकर ने नई पीढ़ी के संगीत को संस्कारित किया है। संगीत की लोकप्रियता, उसका प्रसार और अभिरुचि के विकास का श्रेय लता को ही देना पड़ेगा।’ क्या आप इस कथन से सहमत हैं? यदि हाँ, तो अपना पक्ष प्रस्तुत करें।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ में महान् गायक और संगीत मनीषी कुमार गंधर्व ने विलक्षण गायिका, स्वर-साम्राज्ञी लता मंगेशकर की गानविद्या के विभिन्न पक्षों पर सूक्ष्मतापूर्वक विचार किया है और संगीत क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदानों को उद्घाटित किया है। इस क्रम में उनका स्पष्ट अभिमत है कि अदभूत और अपूर्व गायिका लता मंगेशकर में नई पीढ़ी के संगीत को संस्कारित किया है। उसकी लोकप्रियता, उसके प्रसार और जनरुचि के विकास का सर्वाधिक श्रेय उन्हें ही है। लेखक का उपर्युक्त मंतव्य हमें सर्वथा सार्थक और समीचीन प्रतीत होता है। यद्यपि लता से पहले भी अनेक अच्छी गायिकाएं हुई और उनमें नूरजहाँ जैसी श्रेष्ठ चित्रपट संगीत गायिका भी हों, पर लता के आगमन से चित्रपट संगीत की लोकप्रियता में अप्रत्याशित अभिवृद्धि हुई। साथ ही इससे शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों का दृष्टिकोण भी बदला। लता के संगीत के प्रभाव से नन्हे-मुन्ने बच्चे भी अब स्वर में गाते-गुनगुनाते हैं। वास्तव में लता का स्वर ही ऐसा है, जिसे निरंतर सुनते रहने से सुननेवाला सहज रूप से अनुकरण करने लगता है। लता मंगेशकर ने चित्रपट संगीत को काफी ऊँचाई दी है, जिससे लोगों के कानों को सुन्दर-सुन्दर स्वर लहरियाँ सुनाई पड़ रही हैं। संगीत के विविध प्रकारों से उनका परिचय और प्रेम बढ़ रहा है। साधारण लोगों में भी संगीत की सुक्ष्मता की समझ आ रही है। इन सारी बातों के लिए निस्संदिग्ध रूप से लता मंगेशकर ही श्रेय की योग्य अधिकारिणी हैं।
प्रश्न 3. शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत में क्या अंतर है? आप दोनों में किसे बेहतर प्रानते हैं, और क्यों? उत्तर दें।
उत्तर- महान गायक एवं संगीत मनीषी कुमार गंधर्व ने शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत सष्ट पार्थक्य माना है और दोनों की पारस्परिक तुलना को निरर्थक एवं निस्सार बताया है। शास्त्रीय संगीत का स्थायीभाव जहाँ गंभीरता है, वहीं जलदय और चपलता चित्रपट संगीत का मुख्य गुण है। चित्रपट संगीत का ताल जहाँ प्राथमिक अवस्था का ताल होता है, तहाँ शास्त्रीय संगीत में ताल अपने परिष्कृत में विद्यमान होता है। चित्रपट में आधे तालों का उपयोग किया जाता है, उसकी लयकारी अपेक्षाकृत आसान होती है। इस प्रकार, शास्त्रीय संगीत जहाँ नियमानुरूपता में संगीत की उच्च एवं गंभीर अवस्था से संबंध रखता है, वहाँ चित्रपट संगीत की संभावित उन्मुक्तता में विचरण करता है।
प्रश्न 4. कुमार गंधर्व ने लता मंगेशकर के गायन की कौन-कौन-सी विशेषताएँ बताई हैं ? साथ ही उन्होंने लता मंगेशकर के गायन के किन दोषों की चर्चा की है ?
उत्तर- कुमार गंधर्व ने लता मंगेशकर के गायन की कई विशेषताओं का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर के गाने में नादमय उच्चार (स्वरों का सुंदर मिश्रण) एक विशेष गुण है, जहां गीत के दो शब्दों के बीच का अंतर स्वरों के आलाप द्वारा इतनी खूबसूरती से भरा जाता है कि दोनों शब्द एक-दूसरे में विलीन हो जाते हैं। यह लता मंगेशकर के गायन की सहज और स्वाभाविक विशेषता है। हालांकि, कुमार गंधर्व ने लता मंगेशकर के गायन में कुछ दोषों की भी चर्चा की है। उन्होंने कहा कि आम धारणा के विपरीत, लता मंगेशकर करुण रस को प्रभावी ढंग से व्यक्त नहीं कर पातीं। इसके बजाय, उन्होंने मुग्ध श्रृंगार (मध्य या द्रुतलय के गीत) को उत्कटता से गाया है। इसके अलावा, उनके गायन में एक और कमी की ओर इशारा करते हुए कुमार गंधर्व ने कहा कि यह समझना कठिन है कि इसमें कितना दोष लता का है और कितना संगीत दिग्दर्शकों का|
लता मंगेशकर के गायन की विशेषताएँ:
- स्वरों का सुंदर मिश्रण (नादमय उच्चार): कुमार गंधर्व के अनुसार, लता मंगेशकर के गायन की सबसे बड़ी विशेषता है उनके स्वरों का नादमय उच्चार। वे गीत के दो शब्दों के बीच के अंतर को स्वरों के आलाप द्वारा इतनी खूबसूरती से भरती हैं कि दोनों शब्द एक-दूसरे में विलीन हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में उनकी गायकी में एक सहजता और स्वाभाविकता दिखाई देती है, जो कि अत्यंत सराहनीय है।
- स्वर के प्रभाव और विस्तार: उनके अनुसार, लता मंगेशकर के स्वरों का विस्तार और उनका प्रभावशाली उपयोग भी उनकी गायकी को अनोखा बनाता है। वे अपने स्वर के साथ बहुत ही संवेदनशीलता और गहराई से काम करती हैं, जो सुनने वालों पर एक गहरा प्रभाव छोड़ता है।
लता मंगेशकर के गायन के दोष:
- करुण रस की अभिव्यक्ति में कमी: कुमार गंधर्व ने कहा कि लता मंगेशकर करुण रस को प्रभावी ढंग से व्यक्त नहीं कर पातीं। हालांकि, यह उनके गायन का एक प्रमुख दोष माना जा सकता है, फिर भी उन्होंने मुग्ध श्रृंगार, यानी मध्य या द्रुतलय के गीतों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से गाया है।
- संगीत निर्देशन का प्रभाव: उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि लता मंगेशकर के गायन में किसी हद तक दोष संगीत निर्देशकों का भी हो सकता है। उनके अनुसार, यह समझ पाना मुश्किल है कि कुछ दोष लता मंगेशकर के हैं या फिर वे संगीत निर्देशन की सीमाओं के कारण उभरे हैं।
इस प्रकार, कुमार गंधर्व ने लता मंगेशकर के गायन की गुणात्मक और दोषात्मक दोनों ही पहलुओं पर संतुलित दृष्टिकोण पेश किया है|
प्रश्न 5. चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़े नहीं सुधारे हैं।’ इस संबंध में आपके क्या विचार हैं ?
उत्तर- “चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़े नहीं सुधारे हैं,” निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:
- लोकप्रियता और पहुंच: चित्रपट संगीत ने संगीत को एक व्यापक जनसमूह तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने शास्त्रीय संगीत और लोकसंगीत को आधुनिक धुनों में ढालकर लोगों के बीच अधिक स्वीकार्य और लोकप्रिय बनाया। लता मंगेशकर जैसी गायिकाओं ने इसे एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया, जिससे सामान्य लोग भी संगीत की सूक्ष्मताओं को समझने लगे।
- संगीतिक समझ का विकास: चित्रपट संगीत ने संगीत के प्रति लोगों की समझ को बढ़ावा दिया है। पहले जहां संगीत केवल उच्च वर्ग और विद्वानों तक सीमित था, वहीं अब यह हर घर में पहुंच चुका है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी को संगीत की विभिन्न प्रकार की लय, सुर, और ताल की जानकारी हो रही है।
- नए प्रयोग और नवाचार: चित्रपट संगीत ने नए प्रयोगों और नवाचारों को बढ़ावा दिया है। यह न केवल शास्त्रीय संगीत के तत्वों को सुरक्षित रखने में मददगार रहा है, बल्कि इसे नए रूप में प्रस्तुत कर नई पीढ़ी को भी जोड़ने में सफल रहा है।
- आलोचना और विरोध: हालांकि कुछ पारंपरिक संगीतकारों का मानना है कि चित्रपट संगीत ने लोगों की संगीतिक अभिरुचि को बिगाड़ा है, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा। चित्रपट संगीत ने वास्तव में संगीत को अधिक व्यापक और समृद्ध किया है।
प्रश्न 6. चित्रपट संगीत की प्रसिद्धि के क्या कारण हैं ? इसके विकास को आप सही मानते हैं ? यदि हाँ, तो कैसे ?
उत्तर-
चित्रपट संगीत की प्रसिद्धि के कारण:
- व्यापक पहुंच: चित्रपट संगीत को फिल्मों के माध्यम से व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुंचने का मौका मिला है। फिल्में मनोरंजन का एक प्रमुख साधन हैं, और इनके गाने बड़े पैमाने पर सुने और पसंद किए जाते हैं। इसने संगीत को घर-घर में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- संवेदनशीलता और विविधता: चित्रपट संगीत में भावनाओं की अभिव्यक्ति बहुत प्रभावी होती है। प्रेम, दुःख, खुशी, उत्साह जैसी भावनाओं को गानों के माध्यम से प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, जिससे लोग आसानी से जुड़ जाते हैं। इसके साथ ही, चित्रपट संगीत में शास्त्रीय, लोक, पॉप, और रॉक जैसी विभिन्न शैलियों का समावेश होता है, जिससे यह सभी वर्गों के लोगों को आकर्षित करता है।
- प्रसिद्ध गायक-गायिकाओं का योगदान: लता मंगेशकर, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार जैसे महान गायकों ने चित्रपट संगीत को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। उनकी मधुर आवाज़ और गायकी की विशेष शैली ने चित्रपट संगीत को अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया है।
- तकनीकी प्रगति: रिकॉर्डिंग, साउंड मिक्सिंग, और संगीत उत्पादन में तकनीकी प्रगति ने भी चित्रपट संगीत की गुणवत्ता में वृद्धि की है। इससे संगीत को अधिक संपूर्ण और आकर्षक बनाने में मदद मिली है।
चित्रपट संगीत के विकास को सही मानने के कारण:
- संगीतिक विकास: चित्रपट संगीत ने पारंपरिक संगीत को आधुनिक परिवेश में ढालने का कार्य किया है। इससे संगीत का विकास हुआ है और इसे एक नया रूप मिला है, जो नई पीढ़ी को भी आकर्षित करता है।
- संगीत की व्यापकता: चित्रपट संगीत ने संगीत की सीमाओं को तोड़ा है और इसे समाज के हर वर्ग तक पहुंचाया है। यह विकास केवल परंपराओं का पालन करने से नहीं, बल्कि नए प्रयोगों और नवाचारों से संभव हुआ है।
- सांस्कृतिक समावेश: चित्रपट संगीत ने विभिन्न संस्कृतियों और संगीत शैलियों को अपने में समाहित किया है। यह सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देता है और लोगों को अलग-अलग संगीत शैलियों से परिचित कराता है।
प्रश्न 7. निम्नलिखित वाक्यों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) कोकिला का स्वर निरंतर कानों में पड़ने लगे तो कोई भी सुनने वाला उसका अनुकरण करने का प्रयत्न करेगा । यह स्वाभाविक ही है ।
(ख) और लता का कोई भी गाना लीजिए तो उसमें शत-प्रतिशत यह ‘गानपन’ मौजूद मिलेगा ।
(ग) चित्रपट संगीत समाज की संगीत विषयक अभिरुचि में प्रभावशाली मोड़ लाया है ।
उत्तर-
(क)
प्रसंग: इस वाक्य में लेखक यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि जिस प्रकार कोयल का मधुर स्वर सुनने के बाद कोई भी व्यक्ति उसे दोहराने या अनुकरण करने का प्रयास करता है, उसी प्रकार लता मंगेशकर का मधुर और सुरीला गायन लोगों के दिलों-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ता है और वे भी इस स्वर-साधना को अपनाने की कोशिश करते हैं।
व्याख्या: कोयल की आवाज़ को हमेशा से मधुरता और कोमलता का प्रतीक माना जाता है। जब कोई व्यक्ति बार-बार कोयल की मधुर आवाज़ सुनता है, तो वह अनजाने में ही उस आवाज़ का अनुकरण करने का प्रयास करता है। ठीक इसी प्रकार, लता मंगेशकर की गायकी, जो अपनी कोमलता और सुरीलेपन के लिए प्रसिद्ध है, ने सुनने वालों के मन में संगीत के प्रति एक स्वाभाविक आकर्षण और अनुसरण की भावना उत्पन्न की है। लता मंगेशकर के गायन का यह प्रभाव इतना गहरा है कि उनके गीत सुनने के बाद, कई लोग संगीत के प्रति आकर्षित होते हैं और उनकी गायकी की शैली को अपनाने का प्रयास करते हैं। यह वाक्य इस तथ्य को उजागर करता है कि अच्छे और सुरीले संगीत का प्रभाव कितना शक्तिशाली होता है, जो लोगों को उसे अपनाने और अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है।
(ख)
प्रसंग: यह वाक्य कुमार गंधर्व द्वारा लता मंगेशकर के गायन की प्रशंसा करते हुए कहा गया है। यह वाक्य उनके निबंध से लिया गया है जिसमें उन्होंने लता मंगेशकर की गायकी के गुणों और विशेषताओं का उल्लेख किया है। कुमार गंधर्व, जो स्वयं एक प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायक थे, लता मंगेशकर के गानों में मौजूद ‘गानपन’ की चर्चा कर रहे हैं।
व्याख्या: इस वाक्य का अर्थ यह है कि लता मंगेशकर के हर गीत में वह गुण या विशेषता होती है जिसे ‘गानपन’ कहा जाता है। ‘गानपन’ का अर्थ है गायन की वह गुणवत्ता जो श्रोता को उसकी मिठास, भावनात्मक गहराई, और संगीतमयता के कारण प्रभावित करती है। लता मंगेशकर के गीतों में यह गुण स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, चाहे वह किसी भी प्रकार के गीत गा रही हों। उनके गानों में स्वरों की शुद्धता, शब्दों की स्पष्टता, और भावनाओं की सजीवता होती है, जो श्रोता के दिल को छू जाती है। कुमार गंधर्व यह कहना चाहते हैं कि लता मंगेशकर का कोई भी गीत लें, उसमें हमेशा यह ‘गानपन’ मौजूद होता है, जो उसे अन्य गायकों से अलग और विशिष्ट बनाता है। यही कारण है कि लता मंगेशकर के गीत इतने लोकप्रिय और प्रभावशाली हैं। उनका गाना सुनकर श्रोता हमेशा एक गहरे संगीतिक अनुभव से गुजरता है, जो उन्हें आत्मीयता का अनुभव कराता है।
(ग)
प्रसंग: यह वाक्य कुमार गंधर्व द्वारा लिखे गए निबंध से लिया गया है, जिसमें उन्होंने चित्रपट संगीत के प्रभाव को विस्तार से समझाया है। वे इस वाक्य में इस बात पर जोर दे रहे हैं कि चित्रपट संगीत ने कैसे समाज की संगीतिक अभिरुचि को एक नई दिशा दी है और उसे बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
व्याख्या: इस वाक्य का अर्थ यह है कि चित्रपट संगीत ने समाज के संगीत को सुनने, समझने और उसकी सराहना करने के तरीके में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया है। पहले संगीत को एक विशिष्ट वर्ग तक सीमित माना जाता था, जो शास्त्रीय संगीत या लोक संगीत को सुनता और समझता था। लेकिन चित्रपट संगीत के आने से यह सीमाएं टूट गईं और संगीत अधिक लोगों के लिए सुलभ और प्रिय हो गया। चित्रपट संगीत में शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, और आधुनिक धुनों का समावेश किया गया, जिससे यह संगीत का एक ऐसा रूप बना, जो हर वर्ग के लोगों को पसंद आया। इसने न केवल संगीत की विविधता को उजागर किया बल्कि संगीत को जन-जन तक पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभाई। चित्रपट संगीत के माध्यम से लोग संगीत की सूक्ष्मताओं और विविध शैलियों से परिचित हुए, जिससे उनकी संगीत के प्रति रुचि और समझ बढ़ी।
प्रश्न 8.ऊँची पट्टी में गायन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- ऊँची पट्टी में गायन का तात्पर्य उस गायन शैली से है जिसमें गायक या गायिका अपने स्वर को ऊँचे सुरों में प्रस्तुत करता है। इस संदर्भ में, कुमार गंधर्व ने लता मंगेशकर के गानों की चर्चा करते हुए बताया है कि उनके कई गाने ऊँची पट्टी में होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार संगीत निर्देशकों द्वारा उन्हें अधिक ऊँची पट्टी में गाने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनका गाना कभी-कभी ‘चिल्लाने’ जैसा प्रतीत होता है।
इस प्रकार, ऊँची पट्टी में गायन उस स्थिति को दर्शाता है जब गायक उच्च सुरों का प्रयोग करते हैं, जो कई बार आवश्यकतानुसार होता है, लेकिन कभी-कभी अनावश्यक रूप से अधिक ऊँचा कर दिया जाता है।
प्रश्न 9. लता मंगेशकर भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ हैं । लेखक के इस कथन पर आप अपना विचार प्रस्तुत करें ।
उत्तर- लेखक ने लता मंगेशकर को भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ माना है, और इसके पीछे कई ठोस कारण दिए हैं। सबसे पहले, लता मंगेशकर की आवाज़ में एक अद्वितीय कोमलता और मिठास है, जो उन्हें अन्य गायिकाओं से अलग करती है। उनका गायन इतना प्रभावशाली है कि वह श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।
लता मंगेशकर ने भारतीय चित्रपट संगीत को एक नई दिशा दी है। उनके गानों ने न केवल फिल्म संगीत को लोकप्रिय बनाया, बल्कि उन्होंने शास्त्रीय संगीत की ओर लोगों की रुचि को भी जागृत किया है। उनके गाए हुए गाने इतने मधुर और प्रभावशाली हैं कि आज भी वे हर उम्र के श्रोताओं के बीच लोकप्रिय हैं।
इसके अलावा, लता जी के गायन की स्वाभाविकता और उनकी स्वरों की शुद्धता ने उन्हें एक विशिष्ट स्थान दिलाया है। वह अपने गीतों में भावनाओं को इतनी खूबसूरती से व्यक्त करती हैं कि श्रोता उनके साथ जुड़ाव महसूस करते हैं।
इसलिए, यह कहना बिल्कुल उचित है कि लता मंगेशकर भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ हैं। उनके गायन ने संगीत की दुनिया में एक नया अध्याय जोड़ा है और उन्हें एक अद्वितीय स्थान पर स्थापित किया है।
प्रश्न 10. गानपन से क्या आशय है ? इसे किस तरह अभ्यास से पाया जा सकता है ?
उत्तर-
गानपन से आशय:
गानपन एक गुण है जो किसी गायक या गायिका के गायन को अनूठा और प्रभावशाली बनाता है। यह वह गुण है जो गाने में मिठास, संगीतमयता, और अभिव्यक्ति की स्पष्टता को दर्शाता है। गानपन से तात्पर्य है कि गायन में ऐसा कुछ हो जो श्रोता को सीधे प्रभावित करे, उसके मन को छू जाए और उसे भावविभोर कर दे। यह किसी गाने की आत्मा है जो श्रोता को गहराई से जोड़ता है। लता मंगेशकर के संदर्भ में, उनका हर गाना गानपन से भरपूर होता है, जो उसे विशिष्ट और प्रभावी बनाता है।
गानपन को अभ्यास से पाने का तरीका:
गानपन को केवल तकनीकी ज्ञान और संगीत की समझ से ही नहीं पाया जा सकता। इसके लिए एक गायक को संगीत की आत्मा को समझना होता है और उसमें अपनी भावनाओं को पूरी तरह से डुबोना होता है। इसके लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:
स्वर साधना: नियमित रियाज से सुरों की शुद्धता और स्पष्टता को प्राप्त किया जा सकता है। गानपन की पहली शर्त है कि स्वर साफ और भावपूर्ण हों।
भावनात्मक गहराई: गाने के शब्दों और संगीत में भावनाओं का सजीव समावेश करना आवश्यक है। इसके लिए गायक को गाने के अर्थ और उसकी भावना को पूरी तरह से समझना और महसूस करना चाहिए।
स्वर और ताल का ज्ञान: सुर और ताल का सही ज्ञान गानपन की नींव है। गायक को अपने सुर और ताल पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए ताकि वे गीत की आत्मा को सही तरीके से प्रस्तुत कर सकें।
सुनने की क्षमता: विभिन्न गायकों के गीतों को सुनना और उनसे सीखना भी गानपन को विकसित करने में सहायक होता है। इससे गायन की विभिन्न शैलियों को समझने और आत्मसात करने में मदद मिलती है।
स्वाभाविकता: गानपन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू स्वाभाविकता है। गायन में किसी भी प्रकार की बनावट या जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए। गायक को स्वाभाविक और सहज तरीके से गाना चाहिए।
प्रश्न 11.’संगीत का क्षेत्र ही विस्तीर्ण है । वहाँ अब तक अलक्षित, असंशोधित और अदृष्टपूर्व ऐसा खूब बड़ा प्रांत है तथापि बड़े जोश से इसकी खोज और उपयोग चित्रपट के लोग करते चले आ रहे हैं’ – इस कथन को वर्तमान फिल्मी संगीत के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- इस कथन “संगीत का क्षेत्र ही विस्तीर्ण है । वहाँ अब तक अलक्षित, असंशोधित और अदृष्टपूर्व ऐसा खूब बड़ा प्रांत है तथापि बड़े जोश से इसकी खोज और उपयोग चित्रपट के लोग करते चले आ रहे हैं” को वर्तमान फिल्मी संगीत के संदर्भ में निम्नलिखित रूप से स्पष्ट किया जा सकता है:
विस्तृत संगीत क्षेत्र:
संगीत का क्षेत्र बहुत व्यापक है, जिसमें शास्त्रीय संगीत, लोकसंगीत, और आधुनिक संगीत की विभिन्न शैलियों का समावेश है। इस विशाल क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ खोजा जाना बाकी है।
नवीनता और प्रयोग:
वर्तमान फिल्मी संगीतकार इस विस्तृत संगीत क्षेत्र के विविध आयामों को खोजने और उनका उपयोग करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। वे विभिन्न संगीत शैलियों से प्रेरणा लेकर नए रागों, तालों, और धुनों का सृजन करते हैं। इसमें शास्त्रीय संगीत का आधुनिक रूपांतर, लोकसंगीत का नवाचारपूर्ण प्रयोग, और पॉप व अन्य शैलियों का समावेश होता है।
लोकसंगीत और क्षेत्रीय धुनों का प्रयोग:
फिल्मी संगीत में क्षेत्रीय लोकसंगीत जैसे पंजाबी, राजस्थानी, बंगाली, और पहाड़ी धुनों का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है। इन धुनों का उपयोग न केवल संगीत को अधिक विविध और समृद्ध बनाता है, बल्कि इसे जन-जन तक पहुंचाने में भी सहायक होता है।
संगीत की खोज में उत्साह:
फिल्मी संगीतकार नए संगीत की खोज और प्रयोग में बड़े उत्साह से लगे रहते हैं। वे पारंपरिक धुनों और रागों को नए रूप में पेश करते हैं और इस प्रकार संगीत के क्षेत्र को और अधिक विस्तारित करते हैं।
प्रश्न 12. घर-घर में गाने वाले पहले के बच्चों और आज के बच्चों के गान में कुमार गंधर्व अंतर देखते हैं । यह अंतर क्या है ?
उत्तर- कुमार गंधर्व के अनुसार, पहले के बच्चों और आज के बच्चों के गाने में एक स्पष्ट अंतर है। पहले के समय में बच्चे गाने गाते थे, लेकिन उनमें सुर की वह मिठास और स्वरों का वह अनुशासन नहीं होता था जो आज के बच्चों के गानों में पाया जाता है। आजकल के बच्चे लता मंगेशकर जैसी महान गायिका के गीतों को सुनते हुए बड़े होते हैं, जिनके गानों में स्वरों की कोमलता और माधुर्य होता है। इस प्रकार, चित्रपट संगीत ने बच्चों के गानों में एक नयापन और संगीतिक अनुशासन को लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
यह अंतर इसलिए आया है क्योंकि बच्चों ने लता मंगेशकर जैसी गायिकाओं के गीतों को सुना और उनकी शैली का अनुकरण किया है, जिससे उनकी गायकी में सुधार हुआ है|
Chandan kumar says
Hi
Rajhandani kuma says
मेरा मदद कर
Anonymous says
Hi