Future of English
अंग्रेजी का भविष्य
अंग्रेजी की कहानी को वैसा अंत नहीं दिया जा सकता जैसा कि भाषा के कुछ महानतम रचनाओं को दिया जा सकता है। जब हम मिल्टन की महाकाव्य, ‘द टेल ऑफ़ द एंशिएंट मरीनर’ या ‘द ईव ऑफ़ सेंट एग्नेस’ कीट्स की रचनाओं या शेक्सपियर के त्रासदियों और हास्य नाटकों का अंत पढ़ते हैं, तो हमें एक संतोष की अनुभूति होती है, जो कि एक कला के कार्य से मिलती है। लेकिन यह कहना सही और सुरक्षित होगा कि अंग्रेजी की कहानी आधुनिक मनुष्य के विकास की कहानी है। हर व्यक्ति, जिसे बोलने की शक्ति प्राप्त होती है, वह विश्व मंच पर अपनी भूमिका निभाता है।
इस कहानी-कहानी की तकनीक को अपनाने का मुख्य उद्देश्य भाषा 2 और भाषा 3 के शिक्षार्थियों को भाषा को समझने, उसका आनंद लेने और उसमें महारत हासिल करने के लिए तैयार करना है, जिससे बेहतर मानव समझ, सहयोग और कार्य संस्कृति को बढ़ावा मिल सके। हर व्यक्ति अंग्रेजी की कहानी में योगदान दे सकता है और यह कहानी एक से दूसरे की ओर बढ़ती रहती है, बिल्कुल वैसी ही जैसे हमारी अपनी कहानियों की परंपरा महाभारत, पंचतंत्र और जातक कथाओं में मिलती है।
अंग्रेजी का भविष्य:
अंग्रेजी के विकास पर हमारे विचार-विमर्श के बावजूद, जो सवाल बार-बार सामने आता है, वह यह है: अंग्रेजी का भविष्य क्या है? कुछ लोगों का मानना है कि इतिहास खुद को दोहराएगा और अंग्रेजी का वही हश्र होगा जो लैटिन का हुआ था।
लगभग 800 साल पहले, लैटिन एक विश्व भाषा थी। यह पूरे यूरोप में रोमन साम्राज्य के विस्तार के साथ फैल गई और कई नए रूपों में विकसित हुई। रोमन साम्राज्य के पतन के साथ, लैटिन से निकले विभिन्न रूप अलग-अलग भाषाओं में बदल गए: स्पेनिश, फ्रेंच, इतालवी आदि। लैटिन अब लोकप्रिय उपयोग की भाषा नहीं रही।
कुछ अन्य लोग मानते हैं कि विभिन्न रूप एक साथ मिलकर एक वैश्विक मानक अंग्रेजी बनाएंगे, जिसे सभी बोलेंगे। यह एक सामान्य भाषा होगी जिसका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और पर्यटन, अंतर्राष्ट्रीय प्रेस कवरेज, सरकारों के बीच संचार और बहुराष्ट्रीय व्यापार संगठनों में किया जाएगा।
तो क्या अंग्रेजी भी लैटिन की तरह बिखर जाएगी और उपयोग से बाहर हो जाएगी? या यह एक एकल वैश्विक मानक में विकसित होगी? हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा; केवल समय ही बताएगा।
आधुनिक समय में अंग्रेजी का उपयोग:
20वीं सदी के अंतिम कुछ दशकों में अंग्रेजी भाषा में तेजी से बदलाव आए हैं और पहले के मानक व्याकरण, वर्तनी और उच्चारण के कई पुराने सिद्धांतों को कमजोर कर दिया गया है। इसका एक प्रमुख कारण इंटरनेट है। सिर्फ दस साल में ही इंटरनेट एक वैश्विक घटना बन गया है। 1995 में केवल लगभग 45 मिलियन लोग दुनिया भर में इंटरनेट का उपयोग कर रहे थे। 2006 में यह संख्या दोगुने से भी अधिक हो गई। भारत के सभी बड़े और छोटे शहरों और कस्बों में साइबर कैफे और आउटलेट्स की संख्या सिर्फ कंप्यूटर और इंटरनेट की लोकप्रियता का संकेत नहीं है, बल्कि इसकी अनिवार्यता का भी प्रमाण है।
और इस प्रकार अंग्रेजी की कहानी आगे बढ़ती रहती है।
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