The Story of English Drama
अध्याय “अंग्रेजी नाटक की कहानी” नाट्य कला के इतिहास और इसके विकास की कहानी बताता है। नाटक शब्द ग्रीक शब्द ‘ड्रामा’ से आया है, जिसका अर्थ “किया गया कार्य” होता है। नाटक साहित्यिक कला और प्रदर्शन कला दोनों का मेल है, जिसमें कथानक, पात्र, संवाद, और संगीत आदि शामिल होते हैं। नाटक का मुख्य उद्देश्य मंच पर प्रदर्शन के माध्यम से कल्पना की वास्तविकता को प्रस्तुत करना होता है।
नाटकीय संरचना और प्रकार:
नाटकीय संरचना में प्रारंभिक घटना (Exposition), जटिलता (Complication), संकट (Crisis), निष्कर्षण (Denouement), और त्रासदी (Catastrophe) या कॉमेडी (Conclusion) शामिल हैं। नाटक विभिन्न प्रकार के होते हैं जैसे कि त्रासदी, कॉमेडी, त्रासदी-कॉमेडी, फर्स, मेलोड्रामा, और एक-अंकीय नाटक।
अंग्रेजी नाटक का इतिहास:
अंग्रेजी नाटक का आरंभ नॉर्मन विजय के बाद हुआ। धार्मिक नाटक जिन्हें चमत्कारिक नाटक (Miracle Plays) कहा जाता था, इंग्लैंड में 1110 ईस्वी के आसपास दिखाई दिए। बाद में नैतिकता नाटक (Morality Plays) विकसित हुए, जिसमें पात्र विभिन्न गुणों के रूप में होते थे। जैसे-जैसे समय बीता, नाट्य साहित्य का विकास हुआ और पुनर्जागरण काल में नाटक ने नई ऊँचाइयों को छुआ।
पुनर्जागरण और शेक्सपियर:
पुनर्जागरण काल के दौरान लैटिन साहित्य में रुचि का पुनरुत्थान हुआ। शेक्सपियर (1564-1616) जैसे महान नाटककार इस युग में आए, जिनकी कृतियाँ जीवन और सौंदर्य का महान संगम थीं। शेक्सपियर की प्रमुख त्रासदियाँ जैसे हेमलेट, ओथेलो, मैकबेथ और किंग लियर हैं, जो उनके उत्कृष्टता का उच्चतम स्तर दर्शाती हैं।
जैकोबियन और पुनर्स्थापना युग:
एलिज़ाबेथ प्रथम की मृत्यु के बाद जैकोबियन युग का आरंभ हुआ, जिसमें बेन जॉनसन (1573-1637) और अन्य नाटककारों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1660 में चार्ल्स द्वितीय की पुनर्स्थापना के बाद, नाटक में एक नए प्रकार का विकास हुआ जिसे ‘कॉमेडी ऑफ मैनर्स’ कहा गया।
उन्नीसवीं और बीसवीं सदी का नाटक:
उन्नीसवीं सदी में नाटक का स्तर काफी गिर गया था, लेकिन बीसवीं सदी में जॉर्ज बर्नार्ड शॉ और टी.एस. एलियट जैसे नाटककारों ने इसे पुनर्जीवित किया। बीसवीं सदी के नाटककारों ने सामाजिक समस्याओं और मानवता के गहन पहलुओं को अपने नाटकों में दर्शाया।
अमेरिकी, अफ्रीकी और भारतीय नाटक:
अमेरिका में यूजीन ओ’नील, आर्थर मिलर, और टेनेसी विलियम्स ने महत्वपूर्ण नाट्य कृतियों का सृजन किया। अफ्रीकी नाटककारों में वोल सोयिंका ने अंग्रेजी भाषा और नाट्य तकनीकों में नए प्रयोग किए। भारत में रवींद्रनाथ टैगोर और गिरीश कर्नाड जैसे नाटककारों ने भी अंग्रेजी में नाटक लिखे जो विश्व स्तर पर प्रशंसित हुए।
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