The Night I Met Einstein
Summary in Marathi
द नाईट आय मेट आइन्स्टाइन” ही जेरोम व्हाइडमन यांची एक हृदयस्पर्शी कथा आहे, ज्यात एक तरुण माणूस अल्बर्ट आइन्स्टाइन यांच्या भेटीमुळे शास्त्रीय संगीताची आवड निर्माण करतो. कथेचा नायक, एक तरुण, स्वतःला टोन-डेफ (संगीतातील नोट्स समजण्यास असमर्थ) समजतो आणि त्याला शास्त्रीय संगीत समजत नाही. त्याला एका दानशूर व्यक्तीच्या घरी जेवणासाठी आमंत्रित केले जाते. जेवणानंतर, यजमान एका पियानोवादकाचा संगीताचा कार्यक्रम आयोजित करतात, ज्याची नायकाला भीती वाटते कारण त्याला संगीताची जाण नाही. कार्यक्रमादरम्यान, एक पांढरे केस आणि पाइप असलेला माणूस—अल्बर्ट आइन्स्टाइन—त्याला विचारतो, “तुला बाख आवडतो का?” नायक प्रामाणिकपणे कबूल करतो की त्याला बाखबद्दल काहीही माहिती नाही आणि तो टोन-डेफ आहे. आइन्स्टाइन त्याला दुखावण्याऐवजी त्याला ग्रामोफोन असलेल्या खोलीत घेऊन जातात आणि संगीताची ओळख करून देतात. ते बिंग क्रॉस्बीच्या परिचित गाण्यांपासून सुरुवात करतात आणि हळूहळू जटिल संगीताकडे वाटचाल करतात. आइन्स्टाइन संगीताची तुलना अंकगणिताशी करतात आणि सांगतात की संगीत समजण्यासाठी हळूहळू शिकणे आवश्यक आहे, जसे की अंकगणितात बेरीज-वजाबाकी शिकल्यावरच गुणाकार-भागाकार येतो. शेवटी, नायक बाख ऐकण्यास तयार होतो आणि कार्यक्रमात परत येऊन संगीताचा आनंद घेतो. आइन्स्टाइन यांची दयाळूपणा आणि शिकवण्याची तळमळ नायकावर कायमची छाप सोडते. कथेच्या शेवटी, आइन्स्टाइन त्यांच्या संभाषणाला “सौंदर्याच्या सीमांचा विस्तार” असे वर्णन करतात. ही कथा धैर्य, मार्गदर्शन आणि शिक्षणाच्या परिवर्तनशील शक्तीवर प्रकाश टाकते.
Summary in English
The story “The Night I Met Einstein” by Jerome Weidman is a heartwarming narrative about a young man who learns to appreciate classical music through an unexpected encounter with Albert Einstein. The narrator, a young man who believes he is tone-deaf and unable to understand classical music, is invited to a philanthropist’s house for dinner. After dinner, the hostess arranges a concert featuring a pianist, which the narrator dreads due to his lack of musical understanding. During the concert, he is approached by a man with white hair and a pipe—Albert Einstein—who asks if he is fond of Bach. The narrator admits his ignorance about Bach and his perceived tone-deafness. Instead of dismissing him, Einstein takes the young man to a room with a gramophone and patiently introduces him to music, starting with familiar songs by Bing Crosby. Through a step-by-step process, Einstein helps the narrator recognize melodies and progress to more complex music, including pieces without words. By comparing music to learning arithmetic, Einstein explains that understanding music requires gradual learning, just like mastering numbers. Eventually, the narrator is ready to listen to Bach, and he returns to the concert with newfound appreciation. Einstein’s kindness and dedication to teaching leave a lasting impression, and the narrator never forgets the moment when Einstein describes their interaction as “opening up the frontiers of beauty.” The story highlights themes of patience, mentorship, and the transformative power of education, showing how a small act of kindness from a great mind like Einstein can inspire lifelong learning.
Summary in Hindi
“द नाइट आई मेट आइंस्टीन” जेरोम व्हाइडमैन की एक प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें एक युवक अल्बर्ट आइंस्टीन से मिलने के बाद शास्त्रीय संगीत की सराहना करना सीखता है। कहानी का नायक, एक युवा, खुद को टोन-डेफ (संगीत की धुनें समझने में असमर्थ) मानता है और उसे शास्त्रीय संगीत समझ में नहीं आता। उसे एक परोपकारी व्यक्ति के घर रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया जाता है। भोजन के बाद, मेजबान एक पियानोवादक का संगीत कार्यक्रम आयोजित करती है, जिससे नायक घबराता है क्योंकि उसे संगीत की समझ नहीं है। कार्यक्रम के दौरान, एक सफेद बालों और पाइप वाला व्यक्ति—अल्बर्ट आइंस्टीन—उससे पूछता है, “क्या तुम्हें बाख पसंद है?” नायक ईमानदारी से स्वीकार करता है कि उसे बाख के बारे में कुछ नहीं पता और वह टोन-डेफ है। आइंस्टीन उसे निराश करने के बजाय एक ग्रामोफोन वाली कमरे में ले जाते हैं और संगीत से परिचय कराते हैं। वे बिंग क्रॉस्बी के परिचित गानों से शुरुआत करते हैं और धीरे-धीरे जटिल संगीत की ओर बढ़ते हैं। आइंस्टीन संगीत की तुलना अंकगणित से करते हैं और बताते हैं कि संगीत को समझने के लिए धीरे-धीरे सीखना जरूरी है, जैसे अंकगणित में जोड़-घटाव सीखने के बाद ही गुणा-भाग आता है। अंततः, नायक बाख को सुनने के लिए तैयार हो जाता है और कार्यक्रम में लौटकर संगीत का आनंद लेता है। आइंस्टीन की दयालुता और शिक्षण के प्रति समर्पण नायक पर स्थायी प्रभाव छोड़ता है। कहानी के अंत में, आइंस्टीन उनके संवाद को “सौंदर्य की सीमाओं को खोलना” कहते हैं। यह कहानी धैर्य, मार्गदर्शन और शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाती है।
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