निर्माणों के पावन युग में
लेखक परिचय
लेखक – अटल बिहारी वाजपेयी
जन्म: 25 दिसंबर 1924 (मध्य प्रदेश)
वे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, कवि, पत्रकार और प्रभावशाली वक्ता थे।
उनकी रचनाएँ राष्ट्रप्रेम और प्रेरणादायक विचारों से भरी हुई हैं।
प्रमुख कृतियाँ:
- मेरी इक्यावन कविताएँ (कविता संग्रह)
- कुछ लेख: कुछ भाषण, बिंदु-बिंदु विचार, अमर बलिदान
कविता का सारांश
यह कविता हमें बताती है कि आधुनिक विकास और भौतिक उपलब्धियों के बीच हमें अपने नैतिक मूल्यों और चरित्र निर्माण को नहीं भूलना चाहिए।
- भले ही जीवन संघर्षों से भरा हो, लेकिन हमें साहस और ईमानदारी से आगे बढ़ना चाहिए।
- नैतिकता, विनम्रता, और संस्कृति का सम्मान बहुत जरूरी है।
- विज्ञान और तकनीक के विकास में भी इंसानियत और प्रेम का स्थान होना चाहिए।
महत्वपूर्ण पंक्तियों का अर्थ
“निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें !”
→ आधुनिक विकास के साथ हमें अपने चरित्र और नैतिकता का ध्यान रखना चाहिए।
“स्वार्थ साधना की आधी में वसुधा का कल्याण न भूलें !”
→ स्वार्थ में न फँसकर हमें पूरी दुनिया के कल्याण की भी सोच रखनी चाहिए।
“भौतिकता के उत्थानों में जीवन का उत्थान न भूलें !”
→ केवल भौतिक सुख-सुविधाओं की बजाय हमें आत्मिक और नैतिक उन्नति पर भी ध्यान देना चाहिए।
शब्दार्थ
शब्द | अर्थ |
---|---|
वसुधा | पृथ्वी |
अगम | अपार |
अगाध | अथाह |
मँझधार | लहरों के बीच का भाग |
कौमुदी | चाँदनी |
भौतिकता | सांसारिकता |
उत्थान | उन्नति |
लेखन कार्य
“देश हित के लिए आप क्या करते हैं?”
1. मैं अपने कर्तव्यों का पालन करता हूँ।
2. पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाता हूँ।
3. समाज में अच्छे कार्यों के लिए दूसरों को प्रेरित करता हूँ।
4. समय-समय पर दान और सेवा कार्य करता हूँ।
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